Book Title: Jain Dharma Darshan Ek Samikshatmak Parichay
Author(s): Mohanlal Mehta
Publisher: Mutha Chhaganlal Memorial Foundation Bangalore

Previous | Next

Page 593
________________ ५७८ शब्द आत्माराम आदिनाथ आदेय आनत आनयनप्रयोग आनुपूर्वी आन्ध्रप्रदेश आपृच्छना आप्त आप्तपरीक्षा आप्तमीमांसा आभिनिबोधिकज्ञान आभियोग्य आयार आयु आयुष्य आयोगणता आरण आरम्भत्यागप्रतिमा आराधना आर्य आर्यक्षेत्र आर्यनन्दि आलोक आलोचन आवंति Jain Education International जैन धर्म-दर्शन पृष्ठ ५८ २३६ ४६८ २३३ ५५४ ४६७, ४६२ ६० ५२५. ३३१ ८६ ७८ २५२ २३८ २३ ४६२, ४६६ ४३८ २६२ २३३ ५६२ ५६ २४० २४१ ६६ २५६ २५८ २४ शब्द आवर्तनता आवश्यक आवश्यकी आवापगमन आशय आस्रव आस्रवद्वार आस्रवनिरोध आहारक आहारकवर्गणा इंगिनीमरण इंद्र इंद्रनन्दि इंद्रभूति इंद्रिय ईर्या ईर्यापथिक ईश्वर ईश्वरवाद ईषत्प्राग्भार ईहा पृष्ठ २६३ ४३, ५१४ ५२५ ४६१ ४४३ ४३४, ४५६, ५०१ ४३६ ४३७ इच्छाकार इच्छा - परिमाण इच्छा-स्वातंत्र्य इत्वरिक- परिगृहीता-गमन इहलोकाशंसाप्रयोग For Private & Personal Use Only २०२, २०३ २०२ २७ २३८ ६६ १०, १४ २५४ ५२५ ५४४ ४१४ ५४२ ५६० २८ ४३५ २३६ ३०, ४२२ २३४ २५३, २६१ www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658