Book Title: Jain Dharma Darshan Ek Samikshatmak Parichay
Author(s): Mohanlal Mehta
Publisher: Mutha Chhaganlal Memorial Foundation Bangalore

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Page 603
________________ ५८८ शब्द नक्षत्र नग्नता नपुंसक वेद नभचर नमिनाथ नय नयन्त्रक नयप्रदीप नयरहस्य नयवाद नयविजय नय सप्तभंगी नयामृततरंगिणी नयोपदेश नरक नरकांता नरकायु नरकावास नागकुमार नागहस्ती नागार्जुन नागार्जुनसूरि नागोर नानात्मवाद नाम नारकी ४६६ २४४ २४० ३६४, ४००, ४११ ८० जैन धर्म-दर्शन पृष्ठ २३७ ४ ९४ ૨૪ ७३, ११२, ३६४ ६३ ३७७ ६४ ६४ २२८ २३२ ४६६ २३० २३७ ६५ ७२ २२ ६० Jain Education International ३० ३८०, ४६७ २३४ शब्द नारी नालंदा नास्ति नास्तिकवाद निकाचन निक्षेप निगंट निगंठनाटपुत्त निगंथ निगमन निग्गंथ नित्यता नित्यभोजी निद्रा निद्रा-निद्रा निधत्ति नियमसार निरयावलिका निरयावलिया निर्ग्रन्थ निर्जरा ४६२ ४६२ ४६० नियतविपाकी ४६ १ नियतिवाद ४१५, ४१६, ४२४ नियमप्रतिमा ५६१ निर्माण नियुक्ति पृष्ठ २३२ १२ ३५२ ४२१ ४६० ३८१ ६, १०५ ६ For Private & Personal Use Only १०५ ३३० ६, १०५ १२०, ३४४ ५२६ ६७ ४१ ४१. १०५ ४३७, ५०१ ४६८ ५६ www.jainelibrary.org

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