Book Title: Jain Dharma Darshan Ek Samikshatmak Parichay
Author(s): Mohanlal Mehta
Publisher: Mutha Chhaganlal Memorial Foundation Bangalore

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Page 594
________________ अनुक्रमणिका ४६९ शब्द पृष्ठ शब्द पृष्ठ उग्रसेन उपनय उच्चगोत्र ४६८ उपभोग उच्चार-प्रस्रवण उपभोगपरिभोग-परिमाण ५४६ उच्छवास २०२, ४६८ उपभोगपरिभोगातिरिक्त ५५१ उज्जन १६, १७ उपभोगान्तराय ४७२, ४७६ उड़ीसा १७ उपमान २९८, ३०४ उत्कर २०० उपयोग १५५ उत्तरमीमांसा उपरिवस्त्र उत्तराध्ययन ४३, ४३४ उपरुद्र २३५ उत्पाद ११० उपशमन उत्पादादिसिदि ६२ उपशान्तकषाय ४९८, ४९E उदधिकुमार २३० उपशान्तमोह उदय ४६१,४८६ . उपसंपदा उदयगिरि उपांग उदायन उपासक उदाहरण ३२६ उपासकदशांग उदीरणा ४८६ उपासकदशा २३, ४० उद्दिष्टत्यागप्रतिमा ५६५ उपासकधर्म ५३२ उहिष्टभक्तत्यागप्रतिमा ५६३ उमास्वाति उद्योत २०१, ४६८ उववाइय उद्वर्तना ४८८ उवासगदसा उपकार ३७६ उस्तरा उपघात ऊर्वताविशेष १२३ उपदेशमाला ऊर्वतासामान्य १२२ उपधानश्रुत २४ ऊर्वदिशा-परिमाणउपधारणता २५८ अतिक्रमण ५४५ ५२५ १७ - ६८ ४१ ५३० ४६८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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