Book Title: Jain Dharma Darshan Ek Samikshatmak Parichay
Author(s): Mohanlal Mehta
Publisher: Mutha Chhaganlal Memorial Foundation Bangalore

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Page 596
________________ अनुक्रमणिका ५८१ पृष्ठ ४६१ ४ ६७ कुंभ tuletustila i शब्द पृष्ठ शब्द . कर्मोपार्जन ४५८ काशी १४, ६३ कलश २४० किन्नर २३७, २४० कलिंग किम्पुरुष २३७ कलिकालसर्वज्ञ किल्विषिक २३८ क्रियमाण कल्प क्रियावाद कल्पसूत्र कल्पस्थिति कुंथुनाथ २४० कल्पातीत कुं दकुद कल्पिका कुणिक कल्पोपपन्न -२३६, २३८ कषाय ४५८, ५०० कुण्डग्राम कषायप्राभूत ५६, ६२ कुण्डपुर कषायमोहनीय कुप्य-परिमाण-अतिक्रमण ५४५ कसायपाहुड काठियावाड कुशलानुबंधि अध्ययन कामभोग-तीवाभिलाषा ५४२ कुसलाणुबंधि अज्मयण २४० कामभोगाशंसाप्रयोग ५६० कटतोल-कूटमान ५४० कायदुष्प्रणिधान ५५३ कूट-लेखकरण कायोत्सर्ग ५१५ कामण कूबर २४० कृष्ण काल १३, १३६, २१६, २३५, ३७६, ३८२ केवलज्ञान २८४, २६५, ३६२ कालकाचार्य केवलज्ञानावरण ४६२ कालवाद ४१७ केवलदर्शन १५६, २६५ कालातिम ५५७ केवलदर्शनावरण काली २३६ केवलिभुक्ति कुमारपाल १५ CC कुसुम २०४ ४६२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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