Book Title: Jain Dharma Darshan Ek Samikshatmak Parichay
Author(s): Mohanlal Mehta
Publisher: Mutha Chhaganlal Memorial Foundation Bangalore

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Page 597
________________ ५८२ शब्द केशी कैची कोशल कोष्ठक कोष्ठा कौत्कुच्य क्रोध क्रौंच क्षणिकवाद क्षीणकषाय क्षीण मोह क्षुल्लक क्षेत्र क्षेत्र वास्तु-परिमाण अति क्षेत्रवृद्धि क्षेत्रसमास खण्ड खण्डfift खण्ड सिद्धान्त खरस्वर खारवेल गंग गंगा गंगेश गंध Jain Education International बेन धर्म-दर्शन पृष्ठ ७, ε ५३० १४ १० २६४ ५५ १ ૪૬૧ २३६ ७३ ४EE ૪૨& ५६४ ३८२ क्रमण ५४४ ५४५ ६८ शब्द गन्धर्व १७६, ४६७ गच्छाचार गच्छायार गणधर गणिविज्जा गणिविद्या गति गमिक गरुड़ गर्दभिल्ल गर्भज गवेषणता गवेषणा गांधारी गार्द्धपृष्ठमरण गिरिनगर गिरिनार गुजरात गुण गुणचन्द्र गुण प्रत्यय गुणवत २०० १७ ५६ २३५ १७ १६ गुणरत्न २३२ गुणस्थान ६२ गुणिदेश गुप्ति For Private & Personal Use Only पृष्ठ २३७, २४० ५४, ५५ ५५ ६३ ५५ ५४, ५५ २०५, ४६७ २७१ २४० १७ २४४ २६२ २५३ २४० २७ ६० ८ १५ ११७ ६२ २७७ ५४५ २ ४३८, ४६२ ३७६ ५०३ www.jainelibrary.org

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