Book Title: Jain Dharma Darshan Ek Samikshatmak Parichay
Author(s): Mohanlal Mehta
Publisher: Mutha Chhaganlal Memorial Foundation Bangalore

Previous | Next

Page 591
________________ ५७६ शब्द अभयदेव अभयनन्दी अभाव अभाषालक्षण अभिनन्दन अभिनिबोध अभेद अभ्युत्थान अमरमुनि अमृषावाद अमैथुन अमोघवर्ष अयशःकीर्ति अयोगव्यवच्छेदिका अयोगिकेवली अरति अरनाथ अरिष्टनेमि अरूपी अथं अर्थनय अर्थापत्ति अर्थावग्रह अर्धमागधी अर्हत् जैन धर्म-दर्शन पृष्ठ ५८, ८७ ७१ Jain Education International ३१६ आकाश १६८ अवगम २३६ अवगाह २५२ अवग्रह १२६ ५२५ ५८ ५०६ ५०६ ८६ ४६८ ६१ ५०० ४६६ २४० ८,४७, २४० १३६, १४१, १४३ ११५, २५६, ३७६ ३६६ ३१६ २५८ १४ ५ शब्द अर्हत् चैत्य अलोकाकाश अवग्रहणता अवग्रहप्रतिमा अवग्रहमर्यादा अवधारण अवधारणा अवधि अवधिज्ञान अवधिज्ञानावरण अवधिदर्शन अवधिदर्शनावरण अवबोध अवलम्बनता अवस्थान अवस्थित अवाय अविच्युति अविज्ञप्ति अविद्या अविनाभाव For Private & Personal Use Only पृष्ठ ५ २१३ २१३ २६४ २१३ २५८ २५८ २८ ५२८ २५८ २६४ २८३ २७६, २८३ ४६२ १५६ ४६२ २६४ २५८ २६४ २७८ २६३ २६४ ४४३ ४४३ ३२४ www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658