Book Title: Jain Dharma Darshan Ek Samikshatmak Parichay
Author(s): Mohanlal Mehta
Publisher: Mutha Chhaganlal Memorial Foundation Bangalore
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व्य है।
सापेक्षवाद .
३६६ पर्यायों से आदिष्ट है और एक देश तदुभयपर्यायों से आदिष्ट है, अतएव त्रिप्रदेशी स्कन्ध आत्मा है, आत्मा नहीं है और अवक्तव्य है। चतुष्प्रदेशी स्कन्ध के विषय में प्रश्न करने पर महावीर ने १६ भंगों में उतर दिया। इस उत्तर का स्पष्टीकरण इस प्रकार है१. चतुष्प्रदेशी स्कन्ध आत्मा के आदेश से आत्मा है। २. चतुष्प्रदेशी स्कन्ध पर के आदेश से आत्मा नहीं है। ३. चतुष्प्रदेशी स्कन्ध तदुभय के आदेश से अवक्तव्य है। ४. एक देश आदिष्ट है सद्भावपर्यायों से और एक देश
आदिष्ट है असद्भावपर्यायों से, अतएव चतुष्प्रदेशी स्कन्ध
आत्मा है और आत्मा नहीं है । ५. एक देश आदिष्ट है सद्भावपर्यायों से और अनेक देश
आदिष्ट हैं असद्भावपर्यायों से, अतः चतुष्प्रदेशी स्कन्ध
आत्मा है और (अनेक) आत्माएं नहीं हैं। ६. अनेक देश आदिष्ट हैं सद्भावार्यायों से और एक देश
आदिष्ट है असद्भावपर्यायों से, अत: चतुष्प्रदेशी स्कन्ध (अनेक) आत्माएं हैं और आत्मा नहीं है। ७. दो देश आदिष्ट हैं सद्भावपर्यायों से और दो देश आदिष्ट हैं अमद्भावपर्यायों से, अतः चतुष्प्रदेशी स्कन्ध (दो)
आत्माएं हैं और (दो) आत्माएं नहीं हैं। ८. एक देश आदिष्ट है सद्भावपर्यायों से और एक देश
आदिष्ट है तदुभयपर्यायों से, अत: चतुष्प्रदेशी स्कन्ध आत्मा है और अवक्तव्य है ।
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