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भगवतीसूत्र - श. १. उ. १ चलमाणे चलिए प्रश्न
प्रथम उद्देशक प्रारम्भ
श्री गौतम स्वामीजी महाराज भगवान् महावीर स्वामी से पूछते हैं
१ प्रश्न - से णूणं भंते ! चलमाणे चलिए ? उदीरिज्जमाणे उदीरिए ? वेइज्जमाणे वेइए ? पहिज्जमाणे पहीणे ? छिज्जमाणे छिष्णे ? भिजमाणे भिण्णे ? डज्झमाणे दड्ढे ? मिज्जमाणे मडे ? णिज्जरिजमाणे णिज्जिणे ?
१ उत्तर - हंता, गोयमा ! चलमाणे चलिए, जाव णिज्जरिज्जमाणे णिजिणे ।
शब्दार्थ - भंते - हे भगवन् ! चलमाणे चलिए- क्या चलते हुए को चला कहा जा सकता है? इसी तरह, उदीरिज्जमाणे - जिसकी उदीरणा की जा रही है वह, उदीरिए - उदीरित, बेइज्जमाने - वेदा जाता हुआ, वेइए-वेदित, पहिज्जमाणे - प्रहीयमान- गिरता हुआ, पहीणे- गिरा, छिज्जमाणे- छिदता हुआ, छिण्णे-छिदा, मिज्जमाणे- भिदता हुआ, भिण्णेभिदा, उज्झमाणे - जलता हुआ, बड्ढे जला, मिज्जमाणे मरता हुआ, मडे-मरा, णिज्जरिज्जमाणे- निर्जरता हुआ, णिज्जिणे - निर्जरा । क्या इस तरह कहा जा सकता है ?
हंता - हां, गोयमा - गौतम ! चलमाणे- चलता हुआ, चलिए - चला, जाव-यावत्, णिज्जरिज्जमाणे-निर्जरता हुआ, णिज्जिणे - निर्जरा। इस प्रकार कहा जा सकता है ।
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भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! जो चल रहा है वह चला, जो उबीरा जा रहा है वह उदीरा गया, जो वेदा जा रहा है वह वेदा गया, जो गिर रहा है वह गिरा, जो छिद रहा है वह छिदा, जो भिद रहा है वह भिदा, जो जल रहा है वह जला, जो मर रहा है वह मरा और जो निर्जरा रहा है वह निर्जरा, क्या इस प्रकार कहा जा सकता है ?
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उत्तर - हां, गौतम ! जो चल रहा है वह चला यावत् जो निर्जर रहा है वह निर्जरा, इस प्रकार कहा जा सकता है ।
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