Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 10 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयचन्द्रिका टीका श० १२ उ० ४ सू० १ परमाणुपुद्गलनिरूपणम् ६१ माणुपोग्गला एगयओ चत्तारि दुप्पएसिया खंधा भवंति' अथवा एकत:-एकभागे द्वौ परमाणुपुद्गलौ भवतः, एकतः-अपरभागे चत्वारो द्विपदेशिकाः स्कन्धा भवन्ति, "सत्तहा कज्जमाणे एगयओ छपरमाणुपोग्गला, एगयओ चउप्पएसिए खंधे भवइ" दशमदेशिकः स्कन्धः, सप्तधा क्रियमाणः, एकतः-एकभागे षट् परमाणुपुद्गलाः भरन्ति, एकतः-अपरभागे चतुष्पदेशिकः स्कन्धो भवति, "अहवा एगयओ पंचपरमाणुपोग्गला, एगयो दुप्पएसिए, एगयो तिप्पएसिए खंधे भवइ' अथवा एकता-एकभागे पश्च परमाणुपुद्गलाः भवन्ति, एकतः-अपरभागे द्विप्रदेशिकः स्कन्धो भवति, एकत:-अन्यभागे त्रिप्रदेशिकः स्कन्धो भवति, 'अहवा एगयो चत्तारिपरमाणुपोग्गला, एगयो तिभि दुप्पएसिया खंधा भवंति' अथवा एकतः-एकभागे चत्वारः परमाणुपुद्गला भवन्ति, एकतः-अपरभागे त्रयः द्विप्रदेशिकाः स्कन्धा भवन्ति। माणुपोग्गला, एगयओ चत्तारि दुप्पएसिया खंधा भवंति' अथवा-एकभाग में दो परमाणुपुद्गल होते हैं, एक दूसरे भाग में चार दिप्रदेशिक स्कंध होते हैं, 'सत्तहा कज्जमाणे एगयओ छ परमाणुपोग्गला, एगयओ चउप्पएसिए खंधे भवइ ' इस दशपदेशिक स्कन्ध के जब सातविभाग किये जाते हैं, तष एक भाग में षट् परमाणुपुद्गल होते हैं, और दूसरे भाग में एक चतुष्प्रदेशिक स्कंध होता है । ' अहवा-एगयो पंच परमाणुपोग्गला, एगयओ दुप्पएसिए, एगयओ तिप्पएसिए खंधे भवा' अथवा-एकभाग में पांच परमाणुपुद्गल होते हैं, एक भाग में एक दिप्रदेशिक स्कन्ध होता है और एक अन्यभाग में एक त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होता है । ' अहवा-एगयो चत्तारि परमाणुपोगला, एगयओ तिमि दुप्पएसिया खंधा भवंति' अथवा-एकभाग में चार परमाणुपुदमाणुपोग्गला, एगयओ चत्तारि दुप्पएसिया खंधा भवंति " 24241 मे मे પરમાણુ પુદ્ગલવાળા બે વિભાગે અને દ્વિપ્રદેશિક ચાર સ્કંધ રૂ૫ ચાર विना थाय छे. “ सत्तदा कज्जमाणे एगयो छ परमाणुपोग्गला, एगयओ चउप्पएसिए खंधे भव" इस प्रशि, २४ घना यारे सात विलागी ४२वामा આવે છે, ત્યારે એક એક પરમાણુ પુલવાળા છ વિભાગો અને એક ચાર प्रशि: २४५ ३५ मे विना थाय छे. “ अहवा-एगयओ पंच परमाणुपोगगला, एगय भो दुप्पएसिए, एगयओ तिप्पएसिए खंधे भवइ" ५५१ मे એક પરમાણુ પુલવાળા પાંચ વિભાગ, દ્વિપ્રદેશિક એક સ્કંધ રૂપ એક विलास मन निशि: १४५ ३५ मे विना थाय छ. “ अहवा-एगयओ चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयओ तिग्नि दुप्पएसिया खंधा भवति" अयथा मे
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૦