Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 10 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 710
________________ D A DRASAIRaice प्रमेयचन्द्रिका टीका श० १३ उ० ४ सू० १० अवगाहनाद्वारनिरूपणम् ६९५ राणां चाभावात् । गौतमः पृच्छति-- केवड्या अहम्पत्थिकायपएसा ओगाढा ?' तत्र कियन्तः अधर्मास्तिकायप्रदेशा अवगाढा भवन्ति ? भगवानाइ-' असंखेन्जा' तत्र असंख्ये या अधर्मा स्तकारप्रदेशा अवगाढा भवन्ति, गौतमः पृच्छति- केवइया आगासस्थिकायपएसा ओगाढा ?' तत्र कियन्त आकाशास्तिकायप्रदेशा आगाढा भवन्ति ? भगवानाह-'असंखेज्जा' तत्र असंख्येया आकाशास्तिकायप्रदेशा अबग ढा भवन्ति, अधर्मास्तिकायलोकाकाशयोरसंख्येयपदेशत्वात् , गौतमः पृच्छति- केवइया जीवस्थिकायपएसा ओगाढा ? ' तत्र कियन्तो जीवास्तिकायप्रदेशा अगाढा भवन्ति ? भगतानाह-'अगंता, एवं जाव अद्धा समया' अब गौतम प्रभु से ऐसा पूछते हैं केवइया अहमथिकायपएसा ओगाढा' हे भदन्त ! वहां अधर्मास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ़ हैं ? उत्तर में प्रभु कहते हैं-'असंखेना' हे गौतम ! वहां पर अधर्मास्ति काय के असंख्यात प्रदेश अवगाढ होते हैं। अब गौतमस्वामी प्रभु से ऐप्ला पूछते हैं-'केवड्या आगासस्थिकायपएसा ओगाहा' हे भद. न्त ! वहाँ पर कितने आकाशास्तिकायप्रदेश अवगाढ़ हैं ? उत्तर में प्रभु कहते हैं-'असंखेज्जा' हे गौतम ! वहां पर आकाशास्तिकाय के प्रदेश असंख्यात अवगाढ होते हैं अधर्मास्तिकाय और लोकाकाश इनके असंख्पात प्रदेश होते हैं। अब गौतमस्वामी प्रभु से ऐसा पूछते है-'केवइया जीवस्थिकायपएसा ओगाढा' हे भदन्त ! वहां पर जीवास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाड होते हैं ? उत्तर में प्रभु कहते है'अणंता' एवं जाव अद्धासमया' हे गौतम ! वहां पर जीवास्तिकाय के गौतम स्वामीना प्रश्न-" केवइया अहम्मत्यिकायपएमा आगाढा " 8 ભગવદ્ ! ત્યાં અધમતિકાયના કેટલા પ્રદેશ અવગાઢ હોય છે? म.वीर सुना उत्तर-"असंखेजा गौतम ! त्यो मास्तियना અસંખ્યાત પ્રદેશે અવગાઢ હોય છે. गौतम स्वामीन। ५- केवइया आगामस्थिकाय पएसा ओगाहा ?" ભગવદ્ ! ત્યાં આકાશાસ્તિકાયના કેટલા પ્રદેશ અવગાઢ હોય છે? महावीर प्रभुना उत्त२-" असंखेजा" ई मौतम ! त्यो सशस्तिકાયના અસંખ્યાત પ્રદેશે અવગાઢ હોય છે કારણ કે ધર્માસ્તિકાય, અધમસ્તિકાય અને કાકાશના અસંખ્યાત પ્રદેશે હેય છે. मौतम २३ामान। प्रश्न-" केपइया जीवत्थिकायपएसा ओगाढा ?" ભગવન્! ત્યાં જવાસ્તિકાયના કેટલા પ્રદેશે અવગાઢ હોય છે ? તેનો ઉત્તર माता मडावी२ प्रनु । -" अणता एवं जाव अद्धासमया " गौतम ! શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૦

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