Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 10 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 700
________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श० १३ उ०४ सू० १० अवगाहनाद्वारनिरूपणम् ६८५ पोग्गलथिकायपएसा ओगाढा तत्थ केवइया धम्मत्थि कायपएमा० ?' हे भदन्त । यत्र खलु द्वौ पुद्गलास्तिकायप्रदेशौ अगाढी भवत स्तत्र कियन्तो धर्मास्तिकायभदेशाः अगाढा भवन्ति ? भगानाह-सिय एको, सिय दोनि, एवं अहम्मस्थिकायस्स वि, एवं आगासत्थिकायस्स वि, सेसं जहा धम्मथिकायस्स' तत्र स्यात्-- कदाचित् , एको धर्मास्तिकायप्रदेशोऽवगाढो भवति, स्यात्-कदाचित्-दो धर्मास्ति कायमदेशौ तत्रागाही भवतः, तत्र यदा एकत्राकाशप्रदेशे द्वयणुकः स्कन्धो. ऽवगाढो भवेत्तदा तत्र एक एवं धर्मास्तिकायप्रदेशोऽवगाढो भवति, यदा तु द्वयो. राकाशमदेशयो द्वर्यणुकः स्कन्धोऽवगाहः स्यात्तदा तत्र द्वौ धर्मास्तिकायप्रदेशौ अब गौतम प्रभु से ऐसा पूछते हैं-'जत्थ ण भंते ! दो पोग्गलस्थिकायपएसा ओगाढा तत्थ केवइया धम्मत्यिकाथपएसा०' हे भदन्त ! जहां पर पुद्गलास्तिकाय के दो प्रदेश अवगाढ हैं, वहां पर धर्मास्ति काय के कितने प्रदेश अवगाढ हैं ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-'सिय एको, सिय दोनि, एवं अहमथिकायस्स वि, एवं आगासस्थिकायरस वि- सेसं जहा धम्मत्थिशायरस' हे गौतम ! वहां पर कदाचित् एक धर्मास्तिकायप्रदेश अवगाढ होता है, कदाचित् दो धर्मास्तिकाय प्रदेश अवगाढ होते हैं-अर्थात् जब एक आकाश प्रदेश में व्यणुक स्कन्ध अवगाढ होता है तब वहां एक ही धर्मास्तिकायप्रदेश अवगाढ होता है, और जब दो आकाशप्रदेशों में व्यणुक स्कन्ध अवगाढ होता है तब वहां दो धर्मास्तिकाय प्रदेश अवगाढ होते हैं-इसी प्रकार से वहां गौतम स्वाभीमा प्रश्न-" जत्थण भंते ! दो पोग्गल स्थिकायपएमा ओगाढा, तत्थ केवइया धम्मस्थिकायपएसा." मान् ! यो पुरातास्तियना में પ્રદેશ અવગાઢ છે, ત્યાં ધર્માસ્તિકાયના કેટલા પ્રદેશે અવગાઢ હોય છે? महावीर प्रभुन। उत्त२-“ सिय एकको, सिय दोन्नि, एवं अहम्मस्थिकायस्स वि, एवं आगास स्थिकायस्स वि, सेसं जहा धम्म स्थ कायस्स" गौतम ! જયાં પુદ્ગલાસ્તિકાયના બે પ્રદેશ અવગઢ હોય છે, ત્યાં કયારેક ધર્માસ્તિકાયને એક પ્રદેશ પણ અવગાઢ હોય છે અને કયારેક ધર્માસ્તિકાયના બે પ્રદેશે પણ અવગાઢ હોય છે. આ કથનને ભાવાર્થ એ છે કે-જ્યારે એક આકાશપ્રદેશમાં બે અણુવાળે સ્કંધ અવગ ૮ હેય છે, ત્યારે ત્યાં એક જ ધર્માસ્તિકાયપ્રદેશ અવગાઢ હોય છે, અને જ્યારે બે આકાશપ્રદેશમાં બે અણુવાળે સ્કંધ એ ગાઢ હોય છે, ત્યારે ત્યાં બે ધર્માસ્તિકાયપ્રદેશ અવગાઢ હોય છે એ જ પ્રમાણે ત્યાં ક્યારેક અધર્માસ્તિકાયને પણ એક પ્રદેશ અવ શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૦

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