Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 10 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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RECRAF
प्रमेयचन्द्रिका टीका श० १२ उ० ४ सू० २ संहननभेदेन पुद्गलपरिवर्तननि. ९९ प्रश्नः, भगवानाह-'हंता, गोयमा ! एएसि णं परमाणुपोग्गलाणं साहणणा जाव मक्खाया' हे गौतम ! हन्त, सत्यम्, एतेषां खलु पूर्वोक्तानां परमाणुपुद्गलानां संहननं यावत् भेदानुपातेन-संयोगवियोगेन अनन्तानन्ताः पुद्गलपरिवर्ताः समनुगन्तव्याः भवन्तीति कृत्वा आख्याताः-प्ररूपिताः, अथ पुद्गलपरावर्तस्यैव भेदान् गौतमः पृच्छति-'काविहेणं भंते ! पोग्गलपरियट्टे पण्णत्ते ?' हे भदन्त ! कतिविधः खलु पुद्गलपरिवर्तः प्रज्ञप्तः? भगवानाह-'गोयमा ! सत्तविहा पोग्गलपरियट्टा पण्णत्ता' हे गौतम ! सप्तविधाः खलु पुद्गलपरिवर्ताः पज्ञप्ताः, तं जहा ओरालियपोग्गलपरियट्टे, वेउब्धियपोग्गलपरियहे, तेया. पोग्गलपरियट्टे, कम्मा पोग्गलपरियट्टे, मणपोग्गलपरियहे, वइपोग्गलपरियडे, आणापाणुपोग्गलपरियट्टे' तद्यथा औदारिकपुद्गलपरिवर्तः१, वैक्रियपुद्गलपरियोग्य है, तो क्या इसीलिये ये कहे गये हैं ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-'हता, गोयमा ! एएसि ॥ परमाणुपोग्गलाणं साहणणा जाव मक्ख. या' हां, गौतम! इन पूर्वोक्त परमाणुपुद्गलों के संयोग वियोगरूप संह नन भेदानुपात से जायमान अनंतानंत पुद्गलपरावर्त होते हैं-ऐसा है-और इसी कारण से ये कहे गये हैं। ____ अब गौतम प्रभु से इस पुद्गलपरावर्त के भेदों को पूछते हैं."कइ. विहेणं भंते ! पोग्गलपरियट्टे पण्णत्ते" हे भदन्त ! पुगलपरावर्त कितने प्रकार का कहा गया है ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-'गोयमा !' हे गौतम! 'सत्तविहा पोग्गलपरियट्टा पण्णत्ता' पुद्गलपरावर्त सात प्रकार के कहे गये हैं। 'तं जहा' जो इस प्रकार से हैं 'ओरालियपोग्गलपरियढे' औदारिक पुद्गलपरिवर्त "वेवियपोग्गलपरियट्टे" वैक्रियपुद्गलपरावर्त,
महावीर प्रभुने। उत्त२-" हंता, गोयमा ! एएसिंण परमाणुपोग्गलाण साहणणा जाव मक्खाया " 1, गौतम! म पूति ५२मा पुगसोना સોગવિગરૂપ સંહનભેદાનુપાતથી જાયમાન (જનિત) અનંતાનંત પુદ્ગલપરાવર્ત થતા રહે છે, આ વિષય જાણવા જેવે છે. તે કારણે જ અહીં તેની પ્રરૂપણ કરવામાં આવી છે.
भीतम स्वाभीमा प्रश्न-" कइविहेण भंते ! पोग्गलपरिय? पण्णत्ते" है ભગવાન ! પુદ્ગલપરાવર્તના કેટલા પ્રકારે કહ્યા છે?
महावीर प्रभुनी उत्त२-"गोयमा!" गौतम ! " सत्तविहा पोग्गलपरियट्टा पण्णत्ता" स तना सात पारे। ४ा छे. "तंजहा" ते
। नीय प्रभारी छे-" ओरालियपोग्गलपरियट्रे" मोहरपारपरावत "वेच्चियपोग्गलपरिय?" वैयिष५४५२१त', " त्यापोग्गलपरियहे " तेस.
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૦