Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 10 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 591
________________ ५७६ भगवतीसूत्रे पृथिव्या नैरकेभ्यः अल्पकर्मखराश्चैव, अल्पक्रियतराव, अल्पासवतराश्चैव, अल्पवेदनतराश्चैव भवन्ति, ' णो तहा महाकम्मतरा चेव १, महाकिरियतरा चेत्र २, महासातरा चेत्र ३, महावेयगतरा चेत्र ४' नो तथा पष्ठपृथिव्या नैरयिका महाकर्मतराश्चैत्र, महाक्रियतराश्चैव महास्रातराश्चैव, महावेदनतराश्चैव भवन्ति यथा सप्तमपृथिव्या नैरयिका महाकर्मतराः, महाक्रियतराः, मनास्त्रवतराः महावेदन तराश्च भवन्ति तथा नैते इति भावः, किन्तु 'महड्रियतराचेव १, महाजुइयतरा चेत्र २, नो तहा अप्पड्डियतरा चेत्र १, अप्पज्जुइतरा चेत्र २,' ते षष्ठ पृथिव्याः नरयिका महद्धिकतराश्चैव, महाद्युतिकतराश्चैव भवन्ति, परन्तु नो तथा अरर्दिकतराश्चा, अल्पातिकतराश्चैव भवन्ति यथा सप्तमपृथिव्या नैरयिका अल्पर्दिकतराः, अल्पद्युतिकतराश्च भवन्ति न तथे ते इति भावः । 'छट्टीए णं तमाए पुढवीए नरगा पंचमाए धूमपमाए पुढवीए नरएहितो महत्तरा चेत्र १, महावित्थिनितरा चेर २, महावगासतरा वेर ३, महा परिकतरा चेत्र ४, षष्ठयाः खलु तमाया: सप्तमीपृथिवी के नैरयिकों की अपेक्षा अल्पकर्मतर, अल्पास्रवतर और अल्पवेदनातर होते हैं। 'णो तहा महाकम्मतराचेव, १ महाकिरियतराचेव, २ महासवतराचेव ३, महावेयणतराचेव ४' तथा वे सप्तमपृथिवी के नैरयिकों जैसे महाकर्मतर, महाक्रियातर, महास्रवतर और महावेदनतर नहीं हैं 'महड्डियतराचेव १, महाजुइयतरा चेव २, नो तहा अप्पडियतराचेच १, अप्पज्जुइयतराचेव २' ये छठी पृथिवी के नैरयिक महर्दिकतर होते हैं, और महाद्युतिकतर होते हैं, सप्तमपृथिवी के जैसे ये अल्पर्दिक और अल्पद्युतिकतर नहीं होते हैं 'छट्ठीए णं तमाए पुढवीए नरगा पंचमाए धूमप्पभाए पुढवीए नेरइएहितो महत्तराचेव १ महा. वित्थिनतराचेव २, महावगासतराचेव ३, महापारिकतराचेव ४' छठी पहियात२, ५५ २५ 11२, भने सपनात२ सय छ. “णो तहा महाकम्मतराचेव १, महाकिरियतराचेव, महासवतराचेव३, महावेयणतराचेव४" तसा અધ સપ્તમીના નારકે જેટલા મહાકર્માતર, મહાક્રિયાતર, મહાઅવતર અને मडावनतर नथी. "महड्डियतराचेव१, महाजुइयतराचे२ नो तहा अपडूढियतराष१, अप्पज्जुइयतराचेवर" 240 छ४ी न२४ना नार। सातमी न२७॥ નારકે કરતાં અધિક ઋદ્ધિવાળા અને અધિક શુતિવાળા હોય છે, પરંતુ તેઓ સાતમી નરકના નારકે કરતાં અલ્પ ઋદ્ધિવાળા અને અલ્પ દ્યુતિવાળા डाता नथी. "छट्ठीए णं तमाए पुढवीए नरगा पंचमाए धूमप्पभाए पुढवीए नेरइएहिंतो महत्तराचेव १, महावित्थिन्नतराचेवर, महावगासतराचेव३, महापइ શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૦

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