Book Title: Tiloy Pannati Part 1
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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[५५]
पृष्ट
पंक्ति
१३
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संदिग्ध पाठ आदंगुलं या पेलिदम्हि सेढीमेत्ताअवसाणउच्छेहो सण्णिए सयल जुगो चउदुगहिदे एत्ता इंदयपडिणामयं चितेदि उप्पण्णमाण तिरियंचिय
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सम्भव पाठ आदंगुलेणेव फेलिदम्हि सेढी सेढीमेत्तो य उच्छेहो सण्णिहे सयल जगो चउदुगहिदा एत्तो इंदयपरिमाणयं चिद्वेदि उप्पज्जमाण तिरियम्मि य
५६
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१०२
१०३ १३५
उदयम्मि बंधे दि
बंधदि उदयम्मि जादूणं ता मुहुरागंमेत्ते जादूणंतोमुहुत्तगंमत्ते अण्णोणं
अण्णण्णं मणवचकायाणि आउआणपाणाई मणवचकायाउआणपाणाई पेम्ममूलमणा
पेम्ममूढमणा रयणामर
रयणामय, अथवा रयणमई
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३ विचारणीय स्थल प्रन्थमें अनेक स्थल अब भी ऐसे हैं जो अर्थ, व्याकरण या छंदकी दृष्टिसे शुद्ध प्रतीत नहीं होते। फिर भी उनके स्थान पर अन्य पाठ नहीं सुझाये जासके । ऐसे कुछ स्थल पाठकोंके विचारार्थ यहां निर्दिष्ट किये जाते हैं। पंक्ति
विचारणीय स्थल णविदूण
गाथा १४० १ आदि
, १४१-१४७. बाहिं बहुलस्सिजुदा अद्धो वट्टा यधोमुहा कंठा।
मजवमइयो १०४४
कत्तरिसलिलायारा
१८
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