Book Title: Tiloy Pannati Part 1
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
View full book text
________________
-४.६५]
चउत्थो महाधियारो
[ १४९
मंबरपंचेकचऊणवछप्पणसुण्णणवयसत्तो व । अंककमे जोयणया जंबूदीवस्स खेत्तफलं ॥ ५४
७९. ५६ ९४ १५.। एक्को कोसो दंडा सहस्समेकं हुवेदि पंचसया । तेवण्णाए सहिदा किंकूहत्थेसु सुण्णाइं ॥ ५९
को १ । दंड १५५३।।। एको होदि विहत्थी सुण्णं पादम्मि अंगुलं एकं । छञ्च जवा' तिय जूवा लिक्खाओ तिणि णादन्वा ॥ ६.
। ।१।६।३। । कम्मक्खोणीए दुवे वालग्गा भवरभोगभूमीए । सत्त हुवंते मजिसमभोगखिदीए वि तिण्णि पुढं ॥ ६१
२।७।३। सत्त य सण्णासण्णा भोसण्णासण्णया तहा एको। परमाणूण अर्णताणता संखा इमा होदि ॥६२
अडतालसहस्साई पणवण्णुत्तरचउस्सया अंसा । हारो एक लक्खं पंच सहस्साणि चड सया णवयं ॥ १३
खस्वपदसंसस्स पुढं गुणगारा होदि तस्स परिमाणं । एत्थ भणंताणता परिभासकमेण उप्पण्णा ॥६४ सोलसजोयणहीणे जंबूदीवस्स परिधिमज्झम्मि । दारंतरपरिमाणं चउभजिदे होदि जलद्धं ॥ ६५
शून्य, पांच, एक, चार, नौ, छह, पांच, शून्य, नौ और सात, इन अंकोंके क्रमसे रखनेपर जितनी संख्या हो, उतने योजनप्रमाण जम्बूद्वीपका क्षेत्रफल है ॥ ५८ ॥ ७९०५६९४१५०।।
इसके अतिरिक्त एक कोस, एक हजार पांचसौ तिरेपन धनुष, किष्कू और हाथके स्थानमें शून्य, एक वितस्ति, पादके स्थानमें शून्य, एक अंगुल, छह जौ, तीन यूक, तीन लीख, कर्मभूमिके दो बालान, जघन्य भोगभूमिके सात बालाग्र, मध्यम भोगभूमिके तीन बालाग्र, सात सन्नासन्न, तथा एक अवसन्नासन्न एवं अनन्तानन्त, परमाणु, इतना उक्त जम्बूद्वीपके क्षेत्रफलका प्रमाण है ॥ ५९-६२॥
को. १, ध. १५५३, कि. ०, हा. ०, वि. १, पा. 0, अं. १, जौ. ६, यू. ३, ली. ३, क. २, ज. ७, म. ३, स. ७, अ. १, परमाणु अनंतानन्त ।
अड़तालीस हजार चारसौ पचवन अंश और एक लाख पांच हजार चारसौ नौ हार है ॥ ६३ ॥ १०५.
४२ ___ 'खखपदसंसस्सपुढं' (?) यह उस परिमाणका गुणकार है जिसका अनन्तानन्त परिमाण परिभाषाक्रमसे उत्पन्न हुआ है ॥ ६४ ॥
जम्बूद्वीपकी परिधि मेंसे सोलह योजन कम करके शेषमें चारका भाग देनेपर जो लब्ध आवे उतना द्वारोंके अन्तरालका प्रमाण है ॥ ६५॥
१ द ब हत्येस. २ द ब सोदंमि.
३ द ब जव छ.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org