Book Title: Tiloy Pannati Part 1
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 556
________________ -१.२७०७] चउत्थो महाधियारो [४८९ कच्छादीविजयाणं आदिमममिल्लचरमदीहम्मि । [ विजयडुरंदमवणिय अद्धकदे तस्स तस्स दीहत्तं ] ॥ २७०३ [वित्थारेणं खुल्लयहिमवंतणगस्स दीहम्मि।] संगुणिदे जं लद्धं तं तस्स हवेदि खेत्तफलं ॥२७०४ चउसीदीकोढीमो लक्खाणि जोयणाणि इगिवीसं । बावण्णसय तिसट्ठी तिकलाओ तस्स परिमाणं ॥ २७०५ हिमवन्तस्य क्षेत्रफलमे-८४२१०५२६३।३। एदं चिय चउगुणिदं महहिमवंतस्स होदि खेत्तफलं । णिसहस्स तचउग्गुण चउगुणहाणी परं तत्तो ॥ २७०६ महाहिमवंत ३३६८४२१०५२ १२ णिसह १३४७३६८४२१०।१० णील १३४७३६८४ १९ २१० । १० रुम्मि ३३६८४२१०५२ । १२) सिखरी ८४२१०५२६३ । ३ एदाणि मेलिदूर्ण १९ दुगुणं कादध्वं तच्चेदं --७०७३६८४२१०५ । ५। दोण्णं उसुगाराणं असीदिकोडीभो होति खेत्तफलं । एदं पुग्वविमिस्सं चोइससेलाण पिंडफलं ॥ २७०७ ८००००००००। कच्छादि देशोंकी आदिम, मध्यम और अन्तिम लम्बाईमेंसे [ विजयार्धके विस्तारको घटाकर आधा करने पर शेष उस उसकी लम्बाई होती है ] ॥ २७०३ ॥ [ क्षुद्रहिमवान्पर्वतकी लम्बाईको उसके विस्तारसे ] गुणा करनेपर जो संख्या प्राप्त हो उतना उसका क्षेत्रफल होता है ॥ २७०४ ॥ उस क्षेत्रफलका प्रमाण चौरासी करोड़ इक्कीस लाख बावनसौ तिरेसठ योजन और तीन कलामात्र है ॥ २७०५॥ हिमवान्का क्षेत्रफल- ४००००० x २१०५१ = ८४२१०५२६३३३ । इसको चारसे गुणा करनेपर महाहिमवान्का क्षेत्रफल और महाहिमवान्के क्षेत्रफलको भी चारसे गुणा करनेपर निषधपर्वतका क्षेत्रफल होता है। इसके आगे फिर चौगुणी हानि है ॥ २७०६॥ क्षेत्रफल- महाहिमवान् ३३६८४२१०५२१२ । निषध १३४७३६८४२१०१९। नील १३४७३६८४२१०१३। रुक्मि ३३६८४२१०५२१३ । शिखरी ८४२१० ५२६३३३ । इन छह पर्वतोंके क्षेत्रफलको मिलाकर दुगुणा करना चाहिये३५३६८४२१०५२ १२ x २ =७०७३६८४२१०५२२ । दोनों इष्वाकार पर्वतोंका क्षेत्रफल अस्सी करोड योजन है। इसको पूर्वोक्त क्षेत्रफलमें मिला देनेपर चौदह पर्वतोंका क्षेत्रफल होता है ।। २७०७ ॥ ८०००००००० । १ ब-प्रतावेव एष निर्देशः. २ द ब मेलिदूर्ण कादव्वं छच्चेदं. TP. 62 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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