Book Title: Tiloy Pannati Part 1
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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- ४. २८८५ ]
उत्थो महाधियारो
पणणभपणइगिणत्रचउएक अंसा सयं च भडदालं । मज्झिलयदीद्दत्तं पम्माए मंगलावदिए ॥ २८८१
१४९१५०५ । १४८ २१२
सगपणगभग अडच उ एक्कं अंसा कमेण बाणउदी । दोविजयाणं अंतं वक्खीरणगाण आदिलं ॥ २८८२
१४८२०५७ । ९२
२१२
दुगणभएक्विगिअडचउएक्कं अंसा सयेण चुलसीदी । सङ्घावदिमायंजणगिरिम्मि मझिलदीद्दत्तं ॥ २८८३
१४८११०२ । १८४
२१२
भट्ठचउएक्कणभभडचउएक्कंसा कमेण चउसट्ठी । दोसु गिरीणं अंत आदिल दोष्णिविजयाणं ॥ २८८४
१४८०१४८ । ६४
२१२
खंणभसगणभसगचउद्दगि भंसा अट्टै मज्झदीहत्तं । पत्तेक्क सुपम्माए रैमणिजाणामविजयाए ॥ २८८५
१४७०७०० । ८
२१२
पांच, शून्य, पांच, एक, नौ, चार और एक, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन आर एकसौ अड़तालीस भाग अधिक पद्मा व मंगलावती क्षेत्रकी मध्यम लंबाई है ।। २८८१ ॥ १५००९५३२१३ | ९४४८२२२ = १४९१५०५११८ ।
सात, पांच, शून्य, दो, आठ, चार और एक, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और बानत्रै भाग आधक दोनों क्षेत्रोंकी अन्तिम तथा श्रद्धावान् और आत्मांजन वक्षारपर्वतकी आदिम लंबाई है || २८८२ ॥
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१४९१५०५११२ - ९४४८२२ = १४८२०५७ २१२ 1
दो, शून्य, एक, एक, आठ, चार और एक, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और एकसौ चौरासी भाग अधिक श्रद्धावान् और आत्मांजन पर्वतकी मध्यम लंबाई है ।। २८८३ ।। १४८२०५७ २२२ - ९५४११२ = १४८११०२१११ 1
आठ, चार, एक, शून्य, आठ, चार और एक, इन अंकोंके क्रमसे जो सख्या उत्पन्न हो उतने योजन और चौंसठ भाग अधिक दोनों पर्वतोंकी अन्तिम तथा सुपद्मा व रमणीया नामक दो देशोंकी आदिम लंबाईका प्रमाण है | २८८४ ॥
१४८११०२३११ – ९५४३१२ = १४८०१४८२ ।
शून्य, शून्य, सात, शून्य, सात, चार और एक, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और आठ भागमात्र अधिक सुपद्मा व रमणीया नामक दो देशोंमेंसे प्रत्येककी मध्यम लंबाई है ॥ २८८५ ॥ १४८०१४८६२ - ९४४८२१२ = १४७०७०० 1
८
२ १२
१ द वक्खारइ. २ द ब संडावदि".
३ द ब आदीओ. ४ द ब अटेव ५ र मणिणाम.
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