Book Title: Tiloy Pannati Part 1
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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-४. २९०५]
चउत्थो महाधियारो
[५१९
इगिचउतियणभणवतियएक्कं अंसा कमेण वीसं च । मज्झिमए दीहत्तं महवप्पाणलिणविजयम्मि ॥ २९०१
१३९०३४१ । २० ।
. २१२ दोणवअडणभअट्ठतिएक अंसा छहत्तरधियसयं । दोविजयाणं अंतं आदिलं दोविभंगसरियाणं ॥ २९०२
१३८०८९२ । १७६। ।
चउपणछण्णभअडतियएक अंसा व चाल मज्झिमए । दीहत्तं तत्तजले अंतरबाहीए पत्तेक्कं ॥ २९०३
१३८०६५४ । ४०
२१२ पणइगिचउणभअडतियएक्का अंसा य सोलसधियसयं । दोवेभंगणईणं अंतं आदिल्ल दोसु विजयाणं ॥२९०४
१३८०४१५। ११६
२१२ सगछैण्णवणभसगतियएकं अंसा य सट्ठि परिमाणं । मज्झिमपदेसदीहं कुमुदाए सुवैप्पविजयम्मि ॥२९०५
१३७०९६७ । ६०
२१२
एक, चार, तीन, शून्य, नौ, तीन और एक, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और बीस भाग अधिक महावप्रा व नलिन क्षेत्रकी मध्यम लंबाई है ॥ २९०१ ॥
१३९९७८९.०६३ - ९४४८५६ = १३९०३४१३२३ ।
दो, नौ, आठ, शून्य, आठ, तीन और एक, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और एकसौ छयत्तर भाग अधिक दोनों क्षेत्रोंकी अन्तिम तथा तप्तजला व अन्तरवाहिनी नामक दो विभंगन दियोंकी आदिम लंबाई है ।। २९०२॥
१३९०३४१.२० - ९४४८.५६ = १३८०८९२३१६ ।
चार, पांच, छह, शून्य, आठ, तीन और एक, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और चालीस भाग अधिक तप्त जला व अन्तरबाहिनीमेंसे प्रत्येककी मध्यम लंबाईका प्रमाण है ॥ २९०३ ॥ १३८०८९२१४६ - २३८१ ३६ = १३८०६५४३४१३ ।
पांच, एक, चार, शून्य, आठ, तीन और एक, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और एकसौ सोलह भाग अधिक दोनों विभंगनदियोंकी अन्तिम तथा कुमुदा व सुवप्रा नामक दो देशोंकी आदिम लंबाई है ॥ २९०४ ॥
१३८०६५४.४० - २३८३ ३ ६ = १३८०४१५३१६ ।
सात, छह, नो, शून्य, सात, तीन और एक, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और साठ भागप्रमाण कुमुदा व सुवप्रा क्षेत्रके मध्यप्रदेशकी लंबाई है ॥ २९०५ ॥
१३८०४१५३ १६ - ९४४८३५६ = १३७०९६७ ३६३ ।
१ द ब अडतिएक्कं. २ द सगछण्णंणभ'. ३ द सुवच्छ'.
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