Book Title: Tiloy Pannati Part 1
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 571
________________ ५०४ ] तिलोयपण्णत्ती [ ४. २८१६ चोइसजोयणलक्खा छासीदिसहस्सणवसयाई इगितीसा। उत्तरदेवकुरूए पत्तेक होदि रजुबाणो ॥ २०१६ १४८६९३१ । चउजोयणलक्खाणि छत्तीससहस्स णवसयाई पि । सोलसजुदाणि कुरवे जीवाए होदि परिमाणं ॥ २८१७ ४३६९१६ । इसुवग्गं चउगुणिदं जीवावग्गम्मि खिवत तम्मि तदो । चउगुणबाणविहत्ते लद्धं वहस्स विक्खंभो ॥ २८१८ पण्णारसलक्खाणि उणवीससहस्सयाई छन्वीसा । इगिवीसजुदसदंसा पोक्खरकुरुमंडले खेत्तं ॥ २०१९ १५१९०२६ । १२७ २१२ सत्तारसलक्खाणि चोइसजुदसत्तहत्तरिसयाणि । अट्ठकलाओ पोक्खरकुरुवंसए होदि वंकइस ॥ २८२० १७०७७१४। ८ । ने लक्खा पण्णारससहस्ससत्तसयभट्ठवण्णाओ। पुम्वावरेण रुदं दीवद्ध भइसालवणं ॥ २८२१ २१५७५८। एकेकभहसालरुंदा-२४५१ । ७० उत्तरदक्खिणाभगविदाणे जो होदि भइसालाण । विखंभो कालवसा उच्छिण्णो तस्स उवदेसी ॥ २०२२ उत्तर और देवकुरुमेंसे प्रत्येकका ऋजुबाण चौदह लाख छ्यासी हजार नौसौ इकतीस योजनप्रमाण है ॥२८१६ ॥ १४८६९३१ । कुरुक्षेत्रकी जीवाका प्रमाण चार लाख छत्तीस हजार नौसौ सोलह योजनमात्र है ॥२८१७॥ ४३६९१६ । बाणके वर्गको चौगुणाकर उसे जीवाके वर्गमें मिला दो पुनः चौगुणे बाणका भाग देनेपर जो लब्ध आवे उतना गोलक्षेत्रका विस्तार होता है ॥ २८१८ ॥ . पुष्करद्वीपसम्बन्धी कुरुओंका मण्डलाकार क्षेत्र पन्द्रह लाख उन्नीस हजार छब्बीस योजन और एकसौ इक्कीस भाग अधिक है ।। २८१९ ॥ १५१९०२६३२३ । पुष्करद्वीपसम्बन्धी कुरुक्षेत्रका वक्रवाण सत्तरह लाख सतहत्तरसौ चौदह योजन और आठ कलाप्रमाण है ।। २८२० ॥ १७०७७१४२१ । ____ पुष्करार्द्धद्वीपमें भद्रशालवनका पूर्वापर विस्तार दो लाख पन्द्रह हजार सातसौ अट्ठावन योजनमात्र है ॥२८२१ ॥ २१५७५८ । एक एक भद्रशालका विस्तार २४५१४ । उत्तर-दक्षिण भागमें स्थित भद्रशालवनोंका जो कुछ विस्तार है, उसका उपदेश कालवश नष्ट हो गया है ।। २८२२ ॥ १ द कक्खे. २ द चउवीस. ३ द मंगले. ४ द २५६६,ब ५३ । ५ द ब °ठिदाणि. ६ द ब भद्दसालवणं. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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