Book Title: Tiloy Pannati Part 1
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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४९०]
तिलोयपण्णत्ती
[ ४.२७०८
पंचगयणेक्कदुगचउअट्छतियपंचएक्कसत्ताणं । अंककमे पंचंसा चोदसगिरिगणिदफलमाणं ॥ २७०८
७१५३६८४२१०५। ५
१९ एक्क छछसत्तपणणवणवेकचउअट्ठतिदयएक्केक्का । अंककमे जोयणया धादइसंडस्स पिंडफलं ॥ २७०९
११३८४१९९५७६६१ । चोइसगिरीण रुद्धक्खेत्तफैल सोह सव्वखेत्तफले । बारसजुददुसएहि भजिदे तं भरहखेत्तफलं ॥ २७१० छक्कदुगपंचसत्तैयछहचउदुगतिण्णिसुण्णपंचाणं । अंककमे जोयणया चउदाल कलाओ भरहखेत्तफलं ॥ २७११
भरह ५०३२४६७५२६ । ४४
२१२ एवं चिय चउगुणिदे खेत्तफलं होदि हेमवदखेत्ते । तं चेयं चउग्गुणिदं हरिवरिसखिदीय गणिदफलं ॥२७१२ हरिवरिसक्खेत्तफलं चउक्वगुणिदं विदेह खेत्तफलं । सेसवरिसेसु कमसो चउगुणहाणीय गणिदफलं ॥ २७१३
चौदह पर्वतोंके क्षेत्रफलका प्रमाण अंकक्रमसे, पांच, शून्य, एक, दो, चार, आठ, छह, तीन, पांच, एक और सात, इन अंकोंसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और पांच भागमात्र है ॥ २७०८ ॥ ७०७३६८४२१०५२३ + ८०००००००० = ७१५३६८४२१०५३५ यो.।
एक, छह, छह, सात, पांच, नौ, नौ, एक, चार, आठ, तीन, एक और एक, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजनप्रमाण सम्पूर्ण धातकीखण्डका क्षेत्रफल है ॥ २७०९ ॥ ११३८४१९९५७६६१ ।
सब क्षेत्रफलमेंसे चौदह पर्वतोंसे रुद्ध क्षेत्रफलको घटाओ। जो शेष रहे उसमें दोसौ बारहका भाग देनेपर जो लब्ध आवे उतना भरतक्षेत्रका क्षेत्रफल होता है ॥ २७१० ॥
छह, दो, पांच, सात, छह, चार, दो, तीन, शून्य और पांच, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और चवालीस कला अधिक भरतक्षेत्रका क्षेत्रफल है ॥२७११ ॥
११३८४१९९५७६६१ - ७१५३६८४२१०५१५२१२५०३२४६७५२६३११३ भरतका क्षेत्रफल ।
इस भरतक्षेत्रके क्षेत्रफलको चौगुणा करनेपर हैमवतक्षेत्रका क्षेत्रफल और इसको भी चौगुणा करनेपर हरिवर्षक्षेत्रका क्षेत्रफल होता है ॥ २७१२ ॥
हैमवत २०१२९८७०१०४३१६ । हरिवर्ष ८०५१९४८०४१९३६६ ।
हरिवर्षके क्षेत्रफलको चारसे गुणा करनेपर विदेहका क्षेत्रफल होता है । इसके आगे फिर क्रमसे शेष क्षेत्रोंके क्षेत्रफलमें चौगुणी हानि होती गई है ॥ २७१३ ॥
१द ब°छछहसत्तएपण. २द पणणववेक'. ३द बचोद्दसइगिरिणरुंदं खेत्तफलं. ४दब सत्तछह.
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