Book Title: Tiloy Pannati Part 1
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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-१. १४४४ ]
चउत्थो महाधियारो
[३३३
णिस्सेयसमट गया हलिणो' चरिमो दुबम्हकप्पगदो । तत्तो कालेण मदो सिज्झदि किण्हस्स तित्थम्मि ॥१४३७ पढमहरी सत्तमिए पंच च्छट्टम्मि पंचमी एक्को । एक्को तुरिमे चरिमो तदिए णिरए तहेव पडिसत्तू ॥११३८ भीमावलिजिदसत्तू रुद्दो वइसाणलो य सुपइट्ठो । अचलो य पुंडरीओ भजितंधरमजियणाभी य ॥ १४३९ पीढो सञ्चइपुत्तो अंगधरा तित्थकत्तिसमएसु । रिसहम्मि पढमरुद्दों जितसत्तू होदि भजियसामिम्मि ॥१४४० सुविहिपमुहेसु रुद्दा सत्तसु सत्त क्कमेण संजादा । संतिजिणिंदे दसमो सच्चइपुत्तो य वीरतित्थम्मि ॥१४४, सब्वे दसमे पुब्वे रुद्दा भट्टा तवाउ विसयत्थं । सम्मत्तरयणरहिदा बुडा घोरेसु णिरएसुं ॥ १४४२ दो रुद्द सुण्ण छक्का सग रुद्दा तह य दोषिण सुण्णाई । रुद्दो पण्णरसाइं सुण्णं रुई च चरिमम्मि ॥१४४३
स139 113100000000000000000 २२1010101010100000000२२२२२२000२०२००२०२०० 01.00000000३ ३ ३ ३ ३.1010101011३०३000३००३००० ४४010/0/01 0.1४|४|४|४|४|४|४|००४ 01.000000000000000 पंचसया पण्णाधियचउस्सया इगिसयं च गउदी य । सीदी सत्सरि सट्ठी पण्णासा अट्टवीसं पि ॥ १४४४
आठ बलदेव मोक्ष और अन्तिम बलदेव ब्रह्मस्वर्गको प्राप्त हुए हैं । यह अन्तिम बलदेव . स्वर्गसे च्युत होकर कृष्णके तीर्थमें सिद्धपदको प्राप्त होगा ॥ १४३७ ॥
प्रथम नारायण सातवें नरकमें, पांच नारायण छठे नरकमें, एक पांचवेंमें, एक चतुर्थ नरकमें, और अन्तिम नारायण तीसरे नरकमें गया है । इसीप्रकार प्रतिशत्रुओंकी भी गति जानना चाहिये ॥ १४३८॥
__ भीमावलि, जितशत्रु, रुद्र, वैश्वानर ( विश्वानल ), सुप्रतिष्ठ, अचल, पुण्डरीक, अजितंधर, अजितनाभि, पीठ और सात्यकिपुत्र, ये ग्यारह रुद्र अंगधर होते हुए तीर्थकर्ताओंके समयोंमें हुए हैं। इनमेंसे प्रथम रुद्र भगवान् ऋषभनाथके कालमें और जितशत्रु अजितनाथ स्वामीके कालमें हुआ है । इसके आगे सात रुद्र क्रमसे सुविधिनाथप्रमुख सात तीर्थंकरोंके समयमें हुए हैं। दशवां रुद्र शान्तिनाथ तीर्थंकरके समयमें और सात्यकिपुत्र वीर भगवान्के तीर्थमें हुआ है ॥ १४३९-१४४१ ॥
सब रुद्र दशवें पूर्वका अध्ययन करते समय विषयों के निमित्त तपसे भ्रष्ट होकर सम्यक्त्वरूपी रत्नसे रहित होते हुए घोर नरकोंमें डूब गये ॥ १४४२ ॥
दो रुद्र, छह शून्य, सात रुद्र, तथा दो शून्य, रुद्र, पन्द्रह शून्य और अन्तिम कोठेमें एक रुद्र, इसप्रकार रुद्रोंकी संदृष्टि है ॥ १४४३ ॥ ( संदृष्टि मूलमें देखिये )
भीमावलिप्रभृति दश रुद्रोंकी उंचाई क्रमसे पांचसौ, पचास अधिक चारसौ, एकसौ,
१ द हरिणो. २ द व पढमरुद्दा. ३ द व विसयत्तं.
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