Book Title: Tiloy Pannati Part 1
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 543
________________ ४७६ ] तिलोयपण्णत्ती [ ४. २६३६ इगिछटअट्ठदुगपणसंखा भागा अडुतरं च सयं । विजएसु दोसु अंतिमदीहत्तं दोविभंगादी ॥ २६३६ ५२८८६१ । १०८ २१२ भअट्ठणवडदुगपण अंसा सट्ठीइ इक्कसयमेत्ता । हदवदीउम्मिमालिणिणईण मझिल्लायाम ॥ २६३७ ५२८९८० । १६० २१२ सुण्णणभइक्कणवदुगपणसंखा जोयणाई सरिदाणं । दोण्हं अंतिमदीहं 'आदिलं अग्गविजयाणं ॥ २६३८ ५२९१०. । ..। चउअट्ठछक्कतितिपण भागट्टाणेसु सुण्णयं जाण । महकच्छसुगंधाणं विजयाणं मज्झिमायाम ॥२६३९ ५३३६८४ । ००। अट्टछदुअट्रतियपणजोयणया सव्वदंसिणा भणिया । दोस वि विजयाणंतिमदीहं वक्खारआदिलं ॥२६४० ५३८२६८।००। एक, छह, आठ, आठ, दो और पांच, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और एकसौ आठ भागप्रमाण उक्त दोनों क्षेत्रोंकी अन्तिम तथा द्रवती और ऊर्मिमालिनी इन दो विभंगनदियोंकी आदिम लंबाई है ॥ २६३६ ॥ ५२४२७७३९३ + ४५८४ = ५२८८६१३९५ । शून्य, आठ, नौ, आठ, दो और पांच, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और एकसौ साठ भागप्रमाण द्रहवती और ऊर्मिमालिनी नामक विभंगनदियोंकी मध्यम लंबाई है ।। २६३७ ।। ५२८८६१३२ + ११९३१३ = ५२८९८०३६३ । शून्य, शून्य, एक, नौ, दो और पांच, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजनप्रमाण उक्त दोनों नदियोंकी अन्तिम तथा महाकच्छा और सुगन्धा नामक अप्रिम दोनों देशोंकी आदिम लम्बाई है ॥ २६३८ ॥ ५२८९८०३६३ + ११९३१३३ = ५२९१०० । चार, आठ, छह, तीन, तीन और पांच, इन अंकोंसे जो संख्या निर्मित हो उतने योजनप्रमाण महाकच्छा और सुगन्धा देशोंकी मध्यम लंबाई है । यहां भागस्थानोंमें शून्य समझना चाहिये ॥ २६३९ ॥ ५२९१०० + ४५८४ = ५३३६८४ । उपर्युक्त दोनों देशोंकी अन्तिम और नलिनकूट व नागपर्वतकी आदिम लंबाई सर्वज्ञदेवने आठ, छह, दो, आठ, तीन, और पांच, इन अंकोंसे निर्मित संख्यारूप योजनप्रमाण बतलाई है ॥ २६४०॥ ५३३६८४ + ४५८४ = ५३८२६८ । १ ब अटुत्तरं. २ ब आदिल्लं आयाम वि. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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