Book Title: Tiloy Pannati Part 1
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 552
________________ -४. २६८७] चउत्थो महाधियारो [ ४८५ . भडतियणभछद्दो भागा चउसट्रि मज्झदीहत्तं । रम्माए पम्मकावदिविजयाए होदि पत्तेफ ॥२६८३ २६०३८८ । ६४ २१२ चउणभअडपणपणदुग भागा ता एव दोणि विजयाणं । अंतिल्लयदीहत्तं भादिल्लं दोविभंगसरियाणं ॥ २६८४ २५५८०४ । ६४ २१२ पणअडछप्पणपणदुग अंककमे बारसाणि अंसा य । मत्तजले सीदोदे पत्तेकं मज्झदीहत्तं ॥ २६८५ २५५६८५ । १२ । २१२ पणछप्पणपणपंचयदो श्चिय बाहत्तरीहि अधियसयं । भागा दुणइदुविजए अंतिल्लादिल्लदीहत्तं ॥ २६८६ २५५५६५। १७२ इगिअडणवणभपणदुग भागा ता एव मज्झदीहत्तं । संखाए वच्छकावदिविजए पत्तेक परिमाणं ॥ २६८७ २५०९८१ । १७२ २१२ आठ, आठ, तीन, शून्य, छह और दो, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और चौंसठ भाग अधिक रम्या व पद्मकावती देशोंमेंसे प्रत्येककी मध्यम लंबाई है ॥ २६८३ ॥ २६४९७२३१३ - ४५८४ = २६०३८८३६३ । ___चार, शून्य, आठ, पांच, पांच और दो, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और पूर्वोक्त चौंसठ भाग अधिक उक्त दोनों क्षेत्रोंकी अन्तिम तथा मत्तजला व सीतोदा नामक दो विभंगनदियोंकी आदिम लंबाई है ।। २६८४ ॥ २६०३८८३६३२ - ४५८४ = २५५८०४३६३ । ___ पांच, आठ, छह, पांच, पांच और दो, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और बारह भाग अधिक मत्तजला व सीतोदामेंसे प्रत्येककी मध्यम लंबाई है ॥ २६८५ ॥ २५५८०४ ३६१५ – ११९२३५ = २५५६८५३३ । पांच, छह, पांच, पांच, पाच और दो, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या निर्मित हो उतने योजन और एकसौ बहत्तर भाग अधिक दोनों नदियोंकी अन्तिम तथा शंखा व वत्सकावती नामक दो विजयोंकी आदिम लंबाई है ।। २६८६ ॥ २५५६८५३३३ ११९३१३ = २५५५६५३१३। एक, आठ, ना, शून्य, पांच और दो, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और पूर्वोक्त एकसौ बहत्तर भाग अधिक शंखा व वत्सकावती क्षेत्रों से प्रत्येककी मध्यम लंबाईका प्रमाण है ॥ २६८७ ।। २५५५६५३ १३ - ४५८४ = २५०९८१३१३ । १ द पव्वकावदि, ब बपाकावदि. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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