Book Title: Tiloy Pannati Part 1
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 550
________________ -४. २६७७ ] चउत्यो महाधियारो [ ४८३ • अडसगणवचउअडदुग भागा छत्तीसअधियसयमेकं । सट्टावणमायंजणगिरिम्म मझिल्लदीहत्तं ॥ २६७३ २८४९७८ । १३६ २१२ इगिणभपण चउअडग भागा छाहत्तरी य अंतिल्लं । दीहं दोसु गिरीसं आदीओ दोणिविजयाणं ॥२६७४ २८४५०१ । ७६ २१२ सगइगिणवणवसगदुग भागा ता एव मज्झदीहत्तं । पत्तेक सुपम्माए रमाणिज्जाणामविजयाए ॥ २६७५ २७९९१७ । ७६ २१२ तियतिणितिण्णिपणसगदोणि य अंसा तहेव दीहत्तं । दोविजयाणं अंतं भादिल्लं दोविभंगसरियाणं ॥ २६७६ २७५३३३ । ७६ । २१२ चउइगिदुगपणसगदुग भागा चउवीसमेत्त दीहत्तं । मज्झिल्लं खीरोदे ' उम्मत्तणदिम्मि पत्तेकं ।। २६७७ २७५२१४ । २४ २१२ आठ, सात, नौ, चार, आठ और दो, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या निर्मित हो उतने योजन और एकसौ छत्तीस भाग अधिक श्रद्धावान् व आत्मांजन पर्वतकी मध्यम लंबाई ह ॥२६७३॥ २८५४५५३९६ - ४७७.६० = २८४९७८३३३ । एक, शून्य, पांच, चार, आठ और दो, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और छ्यत्तर भाग अधिक उक्त दोनों वक्षारपर्वतोंकी अन्तिम तथा सुपद्मा व रमणीया नामक दो देशोंकी आदिम लंबाई है ॥२६७४ ॥ २८४९७८१३६ - ४७७.६० = २८४५०१३१६ । __सात, एक, नौ, नौ, सात और दो, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और पूर्वोक्त व्यत्तर भागमात्र अधिक सुपमा और रमणीया नामक क्षेत्रों से प्रत्येककी मध्यम लंबाई है ॥ २६७५ ॥ २८४५०१३७६ - ४५८४ = २७९९१७३२३ । तीन, तीन, तीन, पांच, सात और दो, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और पूर्वोक्त व्यत्तर भाग अधिक उक्त दोनों क्षेत्रोंकी अन्तिम तथा क्षीरोदा व उन्मत्तजला नामक दो विभंगनदियोंकी आदिम लंबाई है ॥ २६७६ ॥ २७९९१७३१३ - ४५८४ = २७५३३३३३३ । चार, एक, दो, पांच, सात और दो, इन अंकोंसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और चौबीस भागमात्र अधिक क्षीरोदा व उन्मत्तजलामेंसे प्रत्येक नदीकी मध्यम लंबाई है ॥२६७७॥ २७५३३३३७६ - ११९३५२ = २७५२१४३२३ । १ ब खारोदे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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