Book Title: Tiloy Pannati Part 1
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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-४. २५९६ ]
उत्थो महाधियारो
★ बारससयपणुवीसं भट्ठासीदीविहत्तउणसीदी। जोयणया विक्खंभा एक्केके भदसालवणे ।। २५९०
१२२५ । ७९ ।
८८
सत्तदुदुछकपंचतिशंकाण कमेण होइ जोयणया । अभंतरभागट्टियगयदंताणं चउहोणं ॥ २५९१
३५६२२७ ।
णवपणवी संणवलपणजोयणया उभयमेरुबाहिरए । चउगयदंतणगाणं दीहत्तं होदि पत्तेक्कं ॥ २५९२
५६९२५९ ।
वजय लक्खाणि पणुवीस सहसचउसयाणि पि । छासीदी धणुपद्वं दोकुरवे धादईसंडे || २५९३
९२५४८६ ।
दो जोगलक्खाणि तेवीससहस्सयाणि एकसयं । अट्ठावण्णा जीवा कुरवे तह धादईडे || २५९४
२२३१५८ ।
तिलक्खा छासही सहस्सया छस्सयाणि सीदी य । जोयणया रिजुबाणो णादव्वो तम्मि दीवम्मि ।। २५९५
३६६६८० ।
चउजोयणलक्खाणिं छस्लयजुत्ताणि होंति तेत्तीसं । दोमंदरकुरवाणं पत्तेक्कं वविक्खंभो ॥। २५९६ ४००६३३ ।
प्रत्येक भद्रशालवनका विस्तार बारहसौ पच्चीस योजन और अठासीसे विभक्त उन्यासी भागमात्र है || २५९० ॥। १२२५८४ |
अभ्यन्तरभागमें स्थित चारों गजदन्तोंकी लंबाई सात, दो, दो, छह, पांच और तीन, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजनप्रमाण है ।। २५९१ ॥ ३५६२२७ ।
नौ, पच्चीस, नौ, छह और पांच, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या निर्मित हो उतने योजनप्रमाण उभय मेरुओं के बाह्यभागमें चारों गजदन्त पर्वतोंमेंसे प्रत्येककी लंबाई है ।। २५९२ ॥ ५६९२५९ ।
धातकीखण्डद्वीप में दोनों कुरुओंका धनुःपृष्ठ नौ लाख पच्चीस हजार चारसौ छयासी योजनमात्र है || २५९३ || ९२५४८६ |
धातकीखण्डद्वीपमें दोनों कुरुओंकी जीवा दो लाख तेईस हजार एकसौ अट्ठावन योजनप्रमाण है || २५९४ ।। २२३१५८ ।
उस द्वीपमें तीन लाख छयासठ हजार छहसौ अस्सी योजनप्रमाण कुरुक्षेत्रोंका ऋजुबाण जानना चाहिये || २५९५ ।। ३६६६८० ।
दोनों मन्दरपर्वतोंके कुरुक्षेत्रों में से प्रत्येकका वृत्तविस्तार चार लाख छहसौ तेतीस योजन प्रमाण है || २५९६ ॥ ४००६३३ ।
१ द चउण्णाणं.
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