Book Title: Tiloy Pannati Part 1
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 512
________________ -४. २४०२ ] चउत्थो महाधियारो [१४५ (एको य मेरु कूडो पंचसया भट्टसटिभन्भहियो । सत्त चिय महविजया चोत्तीस हवंति कम्मभूमीभो ॥ २३९६) । ५६८।७।३४। सत्तरि भब्भहियसयं मेच्छखिदी छच्च भोगभूमीओ । चत्तारि जमलसेला जंबूदीवे समुट्ठिा ॥ २३९७ । एवं जंबूदीववण्णणा समत्ता। अस्थि लवणंबुरासी जंबूदीवस्स खाइयायारो । समवट्टो सो जोयणबेलक्खपमाणवित्थारो॥२३९८ २०००००। णावाए उवरि णावा अहोमुही जह ठिदा तह समुद्दो । गयणे समंतदो सो चेटेदि हु चक्कबालेणं ॥ २३९९ चित्तोवरिमतलादो कृडायारेण उवरि वारिणिही । सत्तसयजोयणाई उदएण णहम्मि चेटेदि ॥२४०० उड्डे भवेदि रुंदै जलणिहिणो जोयणा दससहस्सा । चित्तावणिपणिहीए विक्खंभो दोणि लक्खाई ॥२४०१ १०००० । २०००००। पत्तेकं दुतडादो पविसिय पणणउदिजोयणसहस्सा। गाढे दोणि सहस्सा तलवासो दस सहस्साणि ॥२४०२ ९५००० । ९५०००। एक मेरु, पांचसौ अडसठ कूट, सात महाक्षेत्र और चौंतीस कर्मभूमियां हैं ॥ २३९६ ॥ मेरु १ । कूट ५६८ । महाक्षेत्र ७ । कर्मभूमियां ३४ । जम्बूद्वीपमें एकसौ सत्तर म्लेच्छखण्ड, छह भोगभूमियां और चार यमकशैल बतलाये गये हैं ॥ २३९७ ॥ इसप्रकार जम्बूद्वीपका वर्णन समाप्त हुआ। .. __लवणसमुद्र जम्बूद्वीपकी खाईके आकार गोल है। इसका विस्तार दो लाख योजनप्रमाण है ॥ २३९८ ॥ २०००००। एक नावके ऊपर अधोमुखी दूसरी नावके रखनेसे जैसा आकार होता है, उसीप्रकार वह समुद्र चारों ओर आकाशमें मण्डलाकारसे स्थित है ॥ २३९९ ॥ वह समुद्र चित्रापृथिवीके उपरिम तलसे ऊपर कूटके आकारसे आकाशमें सातसौ योजन ऊंचा स्थित है ॥ २४०० ॥ ७००। ___ उस समुद्रका विस्तार ऊपर दश हजार योजन और चित्रापृथिवीकी प्रणिधिमें दो लाख योजनप्रमाण है ।। २४०१ ॥ १०००० । २०००००। दोनों तटों से प्रत्येक तटसे पंचानबै हजार योजन प्रवेश करनेपर दोनों ओरसे एक हजार योजन गहराई में तलविस्तार दश हजार योजनमात्र है ॥२४०२ ॥ ९५००० । ९५००० १ द ब कूडो. २ द ब अभआऊ. ३ ब उठे. ४ द व “सहस्सो. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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