Book Title: Tiloy Pannati Part 1
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
View full book text
________________
-४. १८४६ ]
चउत्थो महाधियारो
[ ३८३
आउट्रकोडिमाहि' कप्पजइत्थीहिं परिउदो सोमो । अद्वियपणपल्लाऊ रमदि सयपहविमाणपह ॥ १८४०
३५००००००। पल्ल ५।
छल्लक्खा छासट्ठी सहस्सया छस्सयाई छासट्ठी । सोमस्स विमाणाणं सयंपहे होंति परिवारा ॥ १८४१
६६६६६६। वाहणवत्थाभरणा कुसुमा गंधा विमाणसयणाई। सोमस्स समग्गाई होति अदिरत्तवण्णाणि ॥ १८४२ पंडुगवणस्स मज्झे चूलियपासम्मि दक्खिणविभागे । अंजणणामो भवणो वासप्पहुदीहिं पुव्वं व ॥ १८४३ जमणामलोयपालो अंजणभवणस्स चेदे मज्झे । किण्णंबरपदिजुदो अरिटणामे पह विमाणम्मि ॥ १८४४ छल्लक्खा छासट्ठी सहस्सया छस्सयाइ छासट्ठी। तत्थारिट्ठविमाणे होंति विमाणाणि परिवारा ॥ १८४५
६६६६६६। आउट्ठकोडिसंखा कप्पजइत्थीओ णिरुवमायारा । होति जमस्स पियाओ अद्धियपणपल्लआऊ सो ॥१८४६
३५००००००।१५।
अढाई पल्यप्रमाण आयुसे सहित और स्वयंप्रभ विमानका प्रभु व सोम नामक लोकपाल साढ़े तीन करोडप्रमाण कल्पवासिनी स्त्रियोंसे परिवृत होता हुआ रमण करता है ।। १८४० ॥
कल्पज स्त्री ३५०००००० । आयु पल्य३।। - स्वयंप्रभ विमानमें सोम लोकपालके विमानोंका परिवार छह लाख छयासठ हजार छहसौ छयासठ संख्याप्रमाण है ॥ १८४१ ॥ ६६६६६६ ।
सोम लोकपालके वाहन, वस्त्र, आभरण, कुसुम, गन्धचूर्ण, विमान और शयनादिक सब अत्यन्त रक्तवर्ण होते हैं ॥ १८४२॥
पाण्डुकवनके मध्यमें चूलिकाके पास दक्षिणदिशाकी ओर अंजन नामक भवन है। इसका विस्तारादिक पूर्वोक्त भवनके ही समान है ॥ १८४३ ॥
__अंजनभवनके मध्यमें अरिष्ट नामक विमानका प्रभु यम नामक लोकपाल कृष्ण वस्त्रादिकसे सहित होकर रहता है ॥ १८४४ ॥
वहां अरिष्टविमानके परिवारविमान छह लाख छयासठ हजार छहसौ छयासठ हैं ॥ १८४५ ॥ ६६६६६६ ।।
साढ़े तीन करोड संख्याप्रमाण अनुपम आकारवाली कल्पवासिनी स्त्रियां यम लोकपालकी प्रियायें हैं । इस लोकपालकी आयु अर्धित पांच अर्थात् अढाई पल्यप्रमाण होती है ।। १८४६॥
३५००००००। प.३।
१द कोडिलाहिं, बकोडिताहिं. २ दब इति अदिरित्तः, ३द बलोयपाला.४ दब पहुदिजुदा. ५ दबसा.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org