Book Title: Tiloy Pannati Part 1
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
View full book text
________________
--४.२३७२ ]
चउत्थो महाधियारो
[ ४४१
- हेरण्णवदभंतरभागे गच्छिय दिसाण पुवाए । दीवजगदीबिलेणं पविसेदि तरंगिणीणाई॥२३६४
। एवं सिहरिगिरिवण्णणा समत्ती। सिहरिस्सुत्तरभागे जंबूदीवस्स जगदिदक्खिणदो। एरावदो त्ति वरिसो चेदि भरहस्स सारिच्छो ॥ २३६५ णवरि विसेसो तस्सेि सलागपुरिसा भवंति जे केई । ताणं णामप्पहुदिसु उवदेसो संपइ पणटो ॥ २३६६ अण्णण्णा एदस्सि' णामा विजयड्डकडसरियाणं । सिद्धो रेवदखंडा माणी विजयड्ढपुण्णा य ॥ २३६७ तिमिसगुहो रेवदवेसमणं णामाणि होति कडाणं । सिहरिगिरिंदोवरि महपुंडरियदहस्स पुव्वदारेणं ॥२३६८ रत्ती णामेण णदी णिस्तरिय पडेदि रत्तकुंडम्मि । गंगाणइसारिच्छा पविसइ लवणंबुरासिम्मि ॥ २३६९ तहहपच्छिमतोरणदारेणं णिस्सरेदि रत्तोदा। सिंधुणईए सरिसा णिवडइ रत्तोदकुंडम्मि ॥ २३७० पच्छिममुहेण तत्तो णिस्सरिदूर्ण भणेयसरिसहिदा । दीवजगदीबिलेणं लवणसमुद्दम्मि पविसेदि ॥ २३७१ गंगारोहिंहरिओ सीदाणारीसुवण्णकलाभो । रत्त त्ति सत्त सरिया पुवाए दिसाए वचंति ।। २३७२
___ समान नाभिगिरिकी प्रदक्षिणा करती हुई हैरण्यवतक्षेत्रके अभ्यन्तर भागमेंसे पूर्वदिशाकी ओर जाकर जम्बूद्वीपसम्बन्धी जगतीके बिलमेंसे समुद्रमें प्रवेश करती है ॥ २३६३-२३६४ ॥
इसप्रकार शिखरीपर्वतका वर्णन समाप्त हुआ। शिखरीपर्वतके उत्तर और जम्बूद्वीपकी जगती के दक्षिणभागमें भरतक्षेत्रके सदृश ऐरावतक्षेत्र स्थित है ॥ २३६५ ॥
विशेष यह कि उस क्षेत्रमें जो कोई शलाकापुरुष होते हैं, उनके नामादिविषयक उपदेश इस समय नष्ट हो चुका है ॥ २३६६ ॥
इस क्षेत्रमें विजया पर्वतके ऊपर स्थित कूटों और नदियोंके नाम भिन्न हैं । सिद्ध, ऐरावत, खण्डप्रपात, माणिभद्र, विजयार्द्ध, पूर्णभद्र, तिमिश्रगुह, ऐरावत और वैश्रवण ये नौ कूट यहां विजयाचपर्वतके ऊपर हैं । शिखरीपर्वतके ऊपर स्थित महापुण्डरीक द्रहके पूर्वद्वारसे निकलकर रक्ता नामक नदी रक्तकुण्डमें गिरती है । पुनः बह गंगानदीके सदृश लवणसमुद्रमें प्रवेश करती है ॥ २३६७-२३६९॥
__उसी द्रहके पश्चिम तोरणद्वारसे रक्तोदानदी निकलती है और सिन्धुनदीके सदृश रक्तोद. कुण्डमें गिरती है ॥ २३७० ॥
पश्चात् वह उस कुण्डसे निकलकर पाश्चममुख होती हुई अनेक नदियोंसे सहित होकर द्वीपकी जगतीक बिलसे लवणसमुद्रमें प्रवेश करती है ॥ २३७१ ॥
गंगा, रोहित् , हरित, सीता, नारी, सुवर्णकूला और रक्ता, ये सात नदियां पूर्वदिशामें जाती हैं ।। २३७२ ॥
२ द ब तेरिस,
३ द ब एदेसि.
४ द ब सरिसाणं. ५ द ब सिद्धा.
१ ब सम्मत्ता. ६ द ब रत्तो .
TP 56.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org