Book Title: Tiloy Pannati Part 1
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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-४. ७७१ ]
चउत्थो महाधियारो
(२४१
भादिमपीदुध्छेहो दंडा चउवीस रूवतियहरिदा । उसहजिणिदे कमसो रूवूणा मिपजते ॥ ७६९
२४ २३/२२२१/२०१९ १८७१६/१५/१४ १३१२१११०९
पासे पंच च्छहिदा तिदयहिदा दोणि वद्रमाणजिणे । सेसाण अबमाणा भादिमपीढस्स उदयाओ ॥ ७७०
बिदियपीढाण उदओ दंढा
२४ २३ २२ २३ २०१९/१८ १७ १६.१५१४१३१२ १३ १०९८७
तदियपीढाणं उदयं दंडो
२४ २३ | २२ २१.२० १९.१८११६१५।१४.१३ १२११०९ ८ ७
पीढत्तयस्स कमसो सोवाणं चउदिसासु एककं । अ, चउ चउ माणं जिणजाणिददीहविस्थारा ॥ ७७१ पढमपीढाणं
८।८।८।८।८।८।८।८।८।८।८।८।८।८।८।८।८।८।८।८। ८।८।८।८।।
भगवान् ऋषभ देवके समवसरणमें प्रथम पीठकी उंचाई तीनसे भाजित चौबीस धनुषप्रमाण थी। फिर इसके आगे नेमिनाथपर्यन्त क्रमसे उत्तरोत्तर भाज्य राशिमेंसे एक अंक कम होता गया है ॥ ७६९ ॥
इसके आगे पार्श्वनाथ तीर्थंकरके समवसरणमें प्रथम पीठकी उंचाई छहसे भाजित पांच, और वर्धमान जिनके तीनसे भाजित दो धनुषप्रमाण थी । शेष दो पीठोंकी उंचाई प्रथम पीठकी उंचाईसे आधी थी ॥ ७७० ॥
द्वितीय पीठोंकी उंचाई.-( मूलमें देखिये ). तृतीय पीठोंकी उंचाई -( मूलमें देखिये ).
चारों दिशाओं से प्रत्येक दिशामें इन तीनों पीठोंकी सीढ़ियोंका प्रमाण कमसे आठ, चार और चार है । इन सीढियोंकी लम्बाई और विस्तार जिन भगवान् ही जानते हैं, अर्थात् उसका उपदेश नष्ट हो गया है ॥ ७७१ ॥
प्रथम पीठोंकी सीढियोंका प्रमाण--( मूलमें देखिये ).
१द उदयदंडा. TP, 31
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