Book Title: Tiloy Pannati Part 1
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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-४. १२५२ ]
उत्थो महाधियारो
[ ३०९
पलिदोवमस्स पादे इगिकोडिस हस्सवस्स परिहीणे । अरदेओ मल्लिजिणो कोटिसहस्सम्मि वासाणं ॥ १२४७ अ प १ रिण वस्स १०००००००००० । मल्लि १०००००००००० ।
४
चडवण्णछक्कपंचसु लक्खेसुं ववगदेसु वासाणं । कमसो सिद्धिं पत्ता' सुव्वयणमिणेमिजिणणाद्दौ ॥ १२४८
वास ५४००००० । ६००००० | ५००००० ।
तेसीदिसहस्सेसुं पण्णाधियसगसएसु जादेसुं । तत्तो पासो सिद्धो पण्णव्भद्दियम्मि दोसए वीरो ॥ १२४९ ८३७५० | २५० । | कम्मक्खयं तरं समत्तं ।
पुष्वं गब्भहियाणि सायरउवमाणको डिलक्खाणि । पण्णास तित्थवट्टणकालो उपहस्स णिद्दिट्ठो ॥ १२५० ५००००००००००००० पुवंग १ |
पुब्गतयजुदाई समुद्दउवमाण कोडिलक्खाणि । तीस चिय सो कालो भजियजिणिंदस्स णादब्बो ॥ १२५१ सा ३००००००००००००० पुब्वंग ३ | चपुब्वंगजुदाई समुद्दउवमाण कोडिलक्खाणि । दसमेत्ताई भणिदो संभवसामिस्स सो कालो ॥ १२५२ सा १००००००००००००० पुलंग ४ |
पश्चात् एक हजार करोड़ वर्ष कम पाव पल्योपमके बीत जानेपर अरनाथ भगवान् और फिर एक हजार करोड़ वर्षोंके पश्चात् मल्लिनाथजिन मुक्त हुए | १२४७ ॥
प. - वर्ष १००० करोड़ | १००० करोड़ |
इसके पश्चात् चौवन लाख, छह लाख और पांच लाख वर्षोंके बीत जानेपर क्रमसे सुत्रत, नमि और नेमिनाथ जिनेन्द्र मुक्तिको प्राप्त हुए | १२४८ ॥
वर्ष ५४ लाख | ६ लाख | ५ लाख |
इसके पश्चात् तेरासी हजार सातसौ पचास वर्षोंके बीत जानेपर पार्श्वनाथ तीर्थंकर और फिर दोसौ पचास वर्षोंके बीत जानेपर वीर भगवान् सिद्ध हुए । १२४९ ॥
८३७५० | २५० ।
मोक्षका अन्तर समाप्त हुआ ।
भगवान् ऋषभनाथका तीर्थप्रवर्तन काल एक पूर्वांग अधिक पचास लाख करोड़ सागर - प्रमाण कहा गया है || १२५० ॥ सा. ५० लाख करोड़ + पूर्वांग १ |
अजितनाथ तीर्थंकरका वह तीर्थप्रवर्तनकाल तीन पूर्वांग सहित तीस लाख करोड़ सागरोपमप्रमाण जानना चाहिये ॥ १२५१ ॥ सा. ३० करोड़ लाख + पूर्वांग ३ ।
सम्भवनाथ स्वामीका वह काल चार पूर्वांग सहित दश लाख करोड़ सागरोपमप्रमाण कहा गया है || १२५२ ॥ सा. १० लाख करोड़ + पूर्वांग ४ ।
१ द ब पत्तो. २ द ब जिणणाहं. ३ द ब णिद्दिट्ठा.
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