Book Title: Tiloy Pannati Part 1
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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३०८ ]
तिलोय पण्णत्ती
[ ४. १२४१
उवही तीस' दसणवसंखेसुं कोडिलक्खपद्ददेसुं' । ततो कमेण संभवणंदणसुमदी गदा सिद्धिं ॥ १२४१
३००००००००००००० | १००००००००००००० | ९००००००००००००।
विमाण णउदी णउसु सहस्सेसु कोडिपहदेसुं ।
तत्तोग कमो सिद्धो पडमप्प हो सुपासो य ॥ १२४२
९००००००००००० | ९०००००००००० ।
वयणउदिवे कोडिहदेसुं समुद्दउवमाणं । जादेसु तदो' सिद्धा चंदप्पहसु विहिसीयलया ॥ १२४३
९००००००००० | ९०००००००० | ९००००००० | छब्बीससहस्साधियछसट्टिलक्खेहि सायरसएण । ऊणम्मि कोडिसायरकाले सिद्धो य सेयंसो ॥। १२४४ ९९९९९०० व रिण ६६२६००० ।
चडवण्णतीसणवचउसायरउवमेसु तह भदीदेसु । सिद्धो य वासुपुजो कमेण विमलो अनंतधम्मा र्य ॥ १२४५
५४ । ३० । ९ । ४ ।
तिसु सायरोवमेसुं तिचरणपल्लूणिएसु संतिजिणो । पलिदोवमस्स अद्वे तत्तो सिद्धिं गदो कुंथू ॥ १२४६ सा ३ रिण प ३ | कुं प १
४
२
इसके आगे तीस लाख करोड़, दश लाख करोड़ और नौ लाख करोड़ सागरोंके चले जाने पर क्रमसे सम्भव, अभिनन्दन और सुमतिनाथ भगवान् सिद्धिको प्राप्त हुए । १२४१ ॥ ३० लाख करोड़ । १० लाख करोड़ । ९ लाख करोड़ ।
इसके पश्चात् नब्बे हजार करोड़ और नौ हजार करोड़ सागरोंके बीत जानेपर क्रमसे पद्मप्रभ और सुपार्श्वनाथ तीर्थंकर सिद्ध हुए ।। १२४२ ॥ ९० हजार करोड़ । ९ हजार करोड़ | इसके पश्चात् एक करोड़से गुणित नौसौ, नब्बे और नौ सागरोपम अर्थात् नौसौ करोड़ सागरोपम, नब्बे करोड़ सागरोपम और नौ करोड़ सागरोपमोंके चले जानेपर क्रमसे चन्द्रप्रभ, सुविधिनाथ और शीतलनाथ भगवान् सिद्ध हुए । १२४३ ॥ ९०० करोड़ | ९० करोड़ । ९ करोड़ ।
छयासठ लाख छब्बीस हजार सौ सागर कम एक करोड़ सागरप्रमाण कालके चले जानेपर भगवान् श्रेयांस सिद्ध हुए || १२४४ ॥ सा. ३३७३९०० ।
पश्चात् चौवन, तीस, नौ और चार सागरोपमोंके व्यतीत होनेपर क्रमसे वासुपूज्य, विमल, अनन्त और धर्मनाथ तीर्थंकर सिद्ध हुए ।। १२४५ || ५४ | ३० | ९ । ४ ।
इसके पश्चात् पौन पल्य कम तीन सागरोपमोंके व्यतीत होनेपर शान्तिनाथ जिनेन्द्र और फिर अर्द्ध पल्योपमकालके बीत जानेपर भगवान् कुंथुनाथ मुक्तिको प्राप्त हुए || १२४६ ॥ सा० ३ - प. है । प. ।
१ द ब तीसु २ द ब पहुदेसुं. ५ द ब जादे स तदो. ६ द ब 'सुहइसी ७ ब छासट्ठि ८ ब अनंतधम्मो य.
३ द ब पहुदी.
४ द ब सिद्धा पउमप्पहा सुपासा य.
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