Book Title: Tiloy Pannati Part 1
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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१९८] तिलोयपण्णत्ती
[ ४. ४४४तम्मणुवे तिदसगदे अट्ठसहस्सावहरिदपल्लम्मि । अंतरिदे उप्पजदि तुरिमो खेमंधरो य मणू ॥ ४४४
तस्सुग्छेहो दंडा सत्तसया पंचहत्तरीजुत्ता । सयकदिहिदेवपल्ला आउपमाणं पि एदस्स ॥ ४४५
७७५। १०००० सो कंचणसमवण्णो देवी विमल त्ति तस्स विक्खौदा । तक्काले सीहादी कूरयमा खंति मणुवमसाई॥ ४४६ सीहप्पहुदिभएणं अदिभीदा भोगभूमिजा ताधे । उवदिसदि मणू ताणं दंडादि सुरक्खणोपायं ॥ ४४७ तम्मणुवे णाकगदे लीदिसहस्सावहरिदपल्लम्मि । अंतरिदे पंचमओ जम्मदि सीमंकरो त्ति मणू ॥ ४४८
तस्सुच्छेहो दंडा पण्णासभहियसत्तसयमेत्ता । लक्खेण भजिदपल्लं आऊ वण्णो सुवण्णणिहो ॥ ४४९
७५०।१००००० देवी तस्स पसिद्धा णामेण मणोहरि त्ति तकाले । कप्पतरू अप्पफला भदिलोहो होदि मणुवाणं ॥४५०
उस कुलकरका स्वर्गवास होनेपर आठ हजारसे भाजित पल्यप्रमाण कालके अनन्तर क्षेमंधर नामक चतुर्थ मनु उत्पन्न हुआ ॥ ४४४ ॥ प. ।
उसके शरीरकी उंचाई सातसौ पचत्तर धनुष और आयु सौके वर्गसे भाजित एक पत्यप्रमाण थी ।। ४४५ ।। उंचाई दं. ७७५; आयु प.०००।
उसका वर्ण सुवर्णके समान और देवी — विमला ' इस नामसे विख्यात थी । उस समय क्रूरताको प्राप्त हुए सिंहादिक मनुष्यों के मांसको खाने लगे थे ॥ ४४६ ॥
तब सिंहादिकके भयसे अत्यन्त भयभीत हुए भोगभूमिजोंको क्षेमंधर मनुने उनसे अपने सुरक्षणके उपायभूत दण्डादिकके रखनेका उपदेश दिया ॥ ४४७ ॥
इस कुलकरके स्वर्गगमनके पश्चात् अस्सी हजारसे भाजित पल्यप्रमाण कालके अन्तरसे पांचवें सीमंकर मनुका जन्म हुआ ॥ ४४८ ॥ ८०००।
उसके शरीरका उत्सेध सातसौ पचास धनुष, आयु एक लाखसे भाजित पल्यप्रमाण, और वर्ण सुवर्णके सदृश था ॥ ४४९ ॥ उंचाई दं. ७५०; आयु प. ।
उसकी देवी मनोहरी नामसे प्रसिद्ध थी। इस कुलकरके समयमें कल्पवृक्ष अल्प फल देने लगे थे, और मनुष्योंमें लोभ अत्यन्त हो चला था ॥ ४५० ॥
१ द ब खेमंधरा. २ दब विक्खादो. ३ द व कूरमया. ४ द तावे, ब तावो. ५ द ब पंचमदी. ६ द अदिलोहादि.
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