Book Title: Tiloy Pannati Part 1
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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-४. १११ ]
चउत्थो महाधियारो
[१५५
· वरिसा दुगुणो अद्दी अहीदो' दुगुणिदो परो वरिसो । जाव विदेहं होदि हु तत्तो अद्धद्धहाणीए ॥ १०६
१०५२। १२/२१०५। ५/४२१०1१०1८४२१ । १/१६८४२ । २/३३६८४ । ४
१६८४२ । २८४२१ । १४२१० । १०/२१०५ । ५१०५२ । १२.५२६ । ६)
१९
।एवं विण्णासो सम्मत्तो। । भरहखिदीबहुमज्झे विजयद्धो णाम भूधरो तुंगो । रजदमओ 'चेटेदि हु णाणावररयणरमाणिज्जो ॥ १०७) पणुवीसजोयणुदओ वुत्तो तहगुणमूलविक्खंभो। उदयतुरिमंसगाढो जलणिहिपुटो तिसेढिगओ॥१०८
२५ । ५० । २५। दसजोयणाणि उवरिं गतूर्ण तस्स दोसु पासेसुं । विजाहराण सेढी एक्केक्का जोयणाणि दस रुंदा ॥ १०९
१०। विजयड्डायामेणं हुवंति विजाहराण सेढीओ। एक्केका तह वेदी णाणाविहतोरणेहिं कियसोहा ॥ ११० दक्खिणदिससेढीए पण्णास पुराणि पुन्ववरदिसम्मि । उत्तरसेढीए तह णयराणि' सट्टि चेटुंति ॥ १११
द ५० । उ ६० ।
वर्षसे दूना कुल पर्वत और पर्वतसे दूना आगेका वर्ष, इसप्रकार विदेह क्षेत्रपर्यन्त क्षेत्रसे पर्वत और पर्वतसे क्षेत्रके विस्तारमें क्रमशः दूनी दूनी वृद्धि होती गयी है। इसके पश्चात् क्रमशः क्षेत्रसे पर्वत और पर्वतसे क्षेत्रका विस्तार आधा आधा होता गया है ॥ १०६ ॥
हिमवान् १०५२१३, हैम. २१०५ १५५, महाहि. ४२१०१९, हरि ८४२१३३, निषध १६८४२३३, विदेह ३३६८४४६, नील १६८४२२२, रम्यक ८४२१११, रुक्मी ४२१०१९, हैर. २१०५३९, शिखरी १०५२१२, ऐरावत ५२६१६। इसप्रकार विन्यास समाप्त हुआ।
भरत क्षेत्रके बहुमध्यभागमें रजतमय और नानाप्रकारके उत्तम रत्नोंसे रमणीय विजयाई नामक उन्नत पर्वत स्थित है ॥ १०७ ॥
वह पर्वत पच्चीस योजन ऊंचा, इससे दूने अर्थात् पचास योजनप्रमाण मूलमें विस्तारसे युक्त, उंचाईके चतुर्थ भागप्रमाण (६१ यो.) नीवसे सहित, पूर्वापर समुद्रको स्पर्श करने वाला, और तीन श्रेणियोंमें विभक्त कहा गया है ॥ १०८ ॥ ऊंचा २५, मूलविस्तार ५०, अवगाह २४. यो. ।
___ दश योजन ऊपर जाकर उस पर्वतके दोनों पार्श्वभागोंमें दश योजन विस्तारसे युक्त विद्याधरोंकी एक एक श्रेणी है ॥ १०९ ॥ १०॥
विजया के आयामप्रमाण विद्याधरोंकी श्रेणियां तथा नानाप्रकारके तोरणोंसे शोभायमान एक एक वेदिका है ॥ ११० ॥
पूर्वसे पश्चिम दिशाकी ओर दक्षिण दिशाकी श्रेणीमें पचास, और उत्तर श्रेणीमें साठ नगर स्थित हैं ॥ १११ ॥ द. श्रे. ५० । उ. श्रे, ६० ।
१ द ब वरिसादु दुगुणवड्डी आदीदो. २ द वट्टेदि. ३ द ब जुत्ता. ४ द वहुदम्मि, ब वहुदिम्मि. ५ ब णयराणं.
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