Book Title: Tiloy Pannati Part 1
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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-१. २२० ]
पढमो महाधियारो
[ ३३
भुजकोडीवेदेसुं पत्तेकं मुरवखिदिए बिंदुकलं । तं पंचवीसहदं जवमुरवमहिए जवखेतं ॥ २१७
७० १४ पहदोणवेहि लोओ चोदसभजिदो य मुरवविदफलं । सेढिस्स य घणमाणं उभयं पि हवेदि जवमुरवे ॥२१८ घणफलमेकम्मि जवे पंचत्तीसद्धभाजिदो लोगो । तं पणतीसरहद सेढिवणं होदि जवखेत्ते ॥ २१९
चदुतियइगतीसेहिं तियतेवीसेहि गुणिदरज्जूओ । तियतियदुच्छदुच्छभजिदमंदरखेत्तफलं ॥ २२०
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२२२२ २२२२ लोकको सत्तरसे भाजित कर लब्ध राशिको पच्चीससे गुणित करनेपर यवमुरजक्षेत्रमें यवका प्रमाण आता है ( इस गाथामें पूर्वार्ध भाग अप्रकृत है, और प्रकृत भाग छूटा हुआ प्रतीत होता है ) ॥ २१७ ॥
नौसे गुणित लोकमें चौदहका भाग देनेपर मुरजक्षेत्रका घनफल आता है। इन दोनोंके घनफलको जोड़नेसे जगश्रेणीके घनरूप सम्पूर्ण यवमुरजक्षेत्रका घनफल होता है ॥२१८॥
३४३ + ७० x २५ = १२२३ यवका घ. फ.; ३४३ x ९ १४ = २२०३ मुरज क्षे. का घ. फ.; १२२३ + २२०३ = ३४३ धनराजु सम्पूर्ण य. मु. क्षेत्रका घ. फ. = ७ x ७ x ७ घनराजु ।
यवमध्य क्षेत्रमें एक यवका घनफल पैंतीसके आधे साढ़े सत्तरहसे भाजित लोकप्रमाण है। इसको पैंतीसके आधे साढ़े सत्तरहसे गुणा करनेपर जगश्रेणीके घनप्रमाण सम्पूर्ण यवमध्य क्षेत्रका घनफल निकलता है ।। २१९॥
३४३ : ३५ = १९३ एक यवका घनफल; १९३ x ३३ = ३४३ धनराजु सम्पूर्ण य. म. क्षेत्रका घ. फ. = ७ x ७ x ७ घ. रा.
चार, दो, तीन, इकतीस, तीन और तेईससे गुणित, तथा क्रमसे तीन, तीन, दो, छह, दो और छहसे भाजित राजुप्रमाण मन्दरक्षेत्रकी उंचाई है ॥ २२० ॥
मन्दराकार लोककी उंचाईका क्रम राजुओंमें – , ३, ३, ३१, ३, २३. १ दब पंचतीसदुभाजिदो. २ दबतप्पणतीसं दुहदं. ३द बचदुतियगितीसहिं. ४ [ तियतियदुछदुछभजिदा रज्जूओ मंदरस्स खेत्तफलं ].
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