Book Title: Tiloy Pannati Part 1
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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५४]
तिलोवपण्णत्ती
[२. २४
१३१०००।१२८०००।१२००००।११८०००। १९६०००।१०८०००।
पाठान्तरम् । सत्त चिय भूमीमो णवदिसभाएण घणोवहिविलग्गा । अट्ठमभूमी दसदिसभागेसु घणोवहिं छिवदि ॥ २४ पुवावरदिब्भाए वेत्तासणसंणिहामो संठाओ । उत्तरदक्खिणदीहा अणादिणिहणा य पुढवीओ॥ २५ चुलसीदी लक्खाणं णिरयबिला होति सम्वपुढवीसुं । पुढविं पडि पत्तेक्वं ताण पमाणं परवेमो ॥ २६
८४०००००। तीस पणवीसं च य पण्णरसं दस तिपिण होंति लक्खाणि । पणरहिदेकं लक्खं पंच य रयणाइपुढेवीणं ॥२७
३००००००। २५०००००। १५०००००। १०००००० । ३०००००। ९९९९५ । ५ । सत्तमखिदिबहुमझे बिलाणि सेसेसु अप्पबहुलतं । उवरि हेतु जोयणसहस्समुझिय हवंति पडेलकमे ॥ २८ पढमादिबितिचउके पंचमपुढवीए तिचउभागतं । अदिउण्हा णिरयबिला तट्रियजीवाण तिब्बदाघकरा ।। २९
श. प्र. १३२०००, वा. प्र. १२८०००, पं. प्र. १२००००, धू. प्र. ११८०००, त. प्र. ११६०००, म. प्र. १०८००० । यह पाठान्तर अर्थात् मतभेद है।
सातों पृथिवियां ऊर्ध्वदिशाको छोड शेष नौ दिशाओंमें धनोदधि वातवलयसे लगी हुई हैं । परन्तु आठवीं पृथिवी दशों दिशाओंमें ही घनोदधि वातवलयको छूती है ॥२४॥
उपर्युक्त पृथिवियां पूर्व और पश्चिम दिशाके अन्तरालमें वेत्रासनके सदृश आकारवाली हैं। तथा उत्तर और दक्षिणमें समानरूपसे दीर्घ एवं अनादिनिधन हैं ॥२५॥
सर्व पृथिवियोंमें नारकियोंके बिल कुल चौरासी लाख हैं। अब इनमेंसे प्रत्येक पृथिवीका आश्रय करके उन बिलोंके प्रमाणका निरूपण करते हैं ॥ २६॥ समस्त पृथिवियोंके बिल ८४०००००।
रत्नप्रभा आदिक पृथिवियोंमें क्रमसे तीस लाख, पच्चीस लाख, पन्द्रह लाख, दश लाख, तीन लाख, पांच कम एक लाख और केवल पांच ही नारकियोंके बिल हैं ॥ २७॥
बिलसंख्या-र. प्र. ३००००००। श. प्र. २५०००००। वा. प्र. १५०००००। पं. प्र. १००००००। धू. प्र. ३०००००। त. प्र. ९९९९५ । म. प्र. ५।-८४०००००।
सातवीं पृथिवीके तो ठीक मध्यभागमें ही नारकियोंके बिल हैं, परन्तु अब्बहुल भागपर्यन्त शेष छह पृथिवियोंमें नीचे व ऊपर एक एक हजार योजन छोड़कर पटलोंके क्रमसे नारकियोंके बिल हैं ॥२८॥
पहिली पृथिवीसे लेकर दूसरी, तीसरी, चौथी और पांचवीं पृथिवीके चार भागों से तीन भागों ( है ) में स्थित नारकियोंके बिल अत्यन्त उष्ण होनेसे वहां रहनेवाले जीवोंके तीव्र गर्मीकी पीड़ा पहुंचानेवाले हैं ॥ २९॥
१ द पणुवीसं. २ द ब रयणेइ. ३ द ब बिलाण. ४ ब पडालकमे. ५ द पुढवीय..
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