Book Title: Tiloy Pannati Part 1
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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तिलोयपण्णत्ती
[२.२६४
एकं कोदंडसयं अब्भहियं पंचवीसरूवेहिं । धूमप्पहाएं चरिमिंदयम्मि तिमिसयम्मि उच्छेहो ॥ २६४
..दं १२५। एक्वत्तालं दंडा हत्थाई दोषिण सोलसंगुलया। छट्ठीए वसुहाए परिमाणं हाणिवड्डीए ॥ २६५
४१, ह २, अं १६ । छासट्टीअधियसयं कोदंडा दोणि होति हत्था य । सोलस पव्वा य पुढे हिमपडलगदाण उच्छेहो ॥ २६६
दं १६६, ह २, अं १६ । दोणि सयाणि अट्टाउत्तरदंडाणि अंगुलाणं च । बत्तीसं छट्ठीए वद्दलठिदजीव उच्छेहो ॥ २६७ ।।
दं२०८, अं३२। पण्णासब्भहियाणि दोणि सयाणि सरासणाणि च । ललंकणामइंदयठिदाण जीवाण उच्छेहो ॥ २६८
दं २५० । पंचसयाइ धणूणिं सत्तमभवणीइ अवधिठाणम्मि । सम्वेसिं णिरयाणं काउच्छेहो जिणादेसो ॥ २६९
एवं रयणादणं पत्तेकं इंदयाण जो उदओ। सेढिविसेढिगदाणं पइण्णयाणं च सो वे ॥ २७०
।इदि णारयाण उच्छेहो सम्मत्तो।
धूमप्रभा पृथिवीके तिमिश्र नामक अन्तिम इन्द्रकमें नारकियोंके शरीरका उत्सेध पच्चीस अधिक एकसौ अर्थात् एकसौ पच्चीस धनुषमात्र है ॥ २६४ ॥ तिमिश्र. प. में ध. १२५. ।
छठी पृथिवीमें हानि-वृद्धिका प्रमाण इकतालीस धनुष, दो हाथ और सोलह अंगुल है ॥ २६५ ।। ध. ४१, ह. २, अं. १६ हा. वृ.
हिम पटलगत जीवोंके शरीरकी उंचाई एकसौ छयासठ धनुष, दो हाथ और सोलह अंगुलप्रमाण है ॥ २६६ ॥ हिम प. में दं. १६६, ह. २, अं. १६.
छठी पृथिवीके वर्दल पटलमें स्थित जीवोंके शरीरका उत्सेध दोसौ आठ धनुष और बत्तीस अंगुलप्रमाण है ॥ २६७ ॥ वर्दल प. में दं. २०८, अं. ३२ (१ ह. ८ अं.).
लल्लंक नामक इन्द्रकमें स्थित जीवोंके शरीरका उत्सेध दोसौ पचास धनुषमात्र है ॥ २६८ ॥ ललंक प. में दं. २५०.
सातवीं पृथिवीके अवधिस्थान इन्द्रकमें पांचसौ धनुषप्रमाण नारकियोंके शरीरका उत्सेध है । इसप्रकार जिन भगवान्ने नारकियोंके शरीरका उत्सेध कहा है ॥ २६९ ॥
अवधिस्थान. प. में दं. ५००.
इसप्रकार रत्नप्रभादिक पृथिवियोंके प्रत्येक इन्द्रकोंमें जो शरीरका उत्सेध है, वही उत्सेध उन उन पृथिवियोंके श्रेणीबद्ध और विश्रेणीगत प्रकीर्णक बिलोंमें भी जानना चाहिये ॥ २७० ॥
इसप्रकार नारकियोंके शरीरका उत्सेधप्रमाण समाप्त हुआ।
१ द धूमप्पहाय. २ द छठाए. ३ द वंदलहिदलजीव. ४ द समत्ता.
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