Book Title: Tiloy Pannati Part 1
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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[७३
-२. १३९]
बिदुओ महाधियारो सोलसहस्सं छस्सयछासट्ठी एक्वीसलक्खाणि । दोणि कला तदियाए पुढवीए तवणवित्थारो ॥ १३४
२११६६६६ । २।
पणवीससहस्साधियर्विसदिलक्खाणि जोयणाणि पि । तदिए वि य खोणीए तावणणामस्स वित्थारो ॥ १३५
२०२५०००। एकोणवीसलक्खा तेत्तीससहस्सतिसयतेत्तीसा । एक्ककला तदियाए वसुहाए वण्णिदो हि वित्थारो ॥ १३६
१९३३३३३ । ।
अट्ठारसलक्खाणि इगिदालसहस्सछसयछासट्ठी। दोणि कला तदियाए भूए पजलिदवित्थारो॥ १३७
१८४१६६६ । २।
सत्तरसं लक्खाणि पण्णाससहस्सजोयणाणिं च । उज्जलिदइंदयस्स य वासो वसुहाए तदियाएं ॥ १३८
१७५००००। सोलसजोयणलक्खा अडवण्णसहस्सतिसयतेत्तीसा । एक्ककला तदियाए संजलिदिंदस्स वित्थारो ॥ १३९
१६५८३३३ । ।
तीसरी पृथिवीमें तपन नामक तृतीय इन्द्रकका विस्तार इक्कीस लाख सोलह हजार छहसौ छयासठ योजन और योजनके तीन भागोंमेंसे दो भागप्रमाण है ॥ १३४ ॥
२२०८३३३३ - ९१६६६३ = २११६६६६३ । तीसरी पृथिवीमें तापन नामक चतुर्थ इन्द्रकका विस्तार बीस लाख पच्चीस हजार योजनप्रमाण है ॥ १३५ ॥ २२१६६६६३-९१६६६३ = २०२५००० ।
तृतीय वसुधा [ निदाघनामक पंचम इन्द्रकका ] विस्तार उन्नीस लाख तेतीस हजार तीनसौ तेतीस योजन और योजनके तृतीय भागप्रमाण है ॥ १३६ ॥
२०२५००० - ९१६६६३ = १९३३३३३३ । तीसरी पृथिवीमें प्रज्वलित नामक छठे इन्द्रकका विस्तार अठारह लाख इकतालीस हजार छहसौ छ्यासठ योजन और एक योजनके तीन भागों से दो भागप्रमाण है ॥ १३७ ॥
१९३३३३३३ - ९१६६६३ = १८४१६६६३ । ... तृतीय वसुधामें उज्ज्वलित नामक सातवें इन्द्रकका विस्तार सत्तरह लाख पचास हजार योजनप्रमाण है ॥ १३८ ॥ १८४१६६६ - ९१६६६२ = १७५०००० ।
तृतीय भूमिमें संज्वलित नामक आठवें इन्द्रकका विस्तार सोलह लाख अट्ठावन हजार तीनसौ तेतीस योजन और एक योजनका तीसरा भाग है ॥ १३९ ॥
१७५०००० - ९१६६६३ = १६५८३३३ ।
१ द ब वणि होइ. २ व दितयाए. ३ द व संपजलिदस्स.
TP. 10
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