________________
मुसलमानों के हमले वि० सं० १२६७ ( ई० म० १२१०) में दिल्ली के बादशाह शम्सुद्दीन अल्तमश ने जालोर विजय किया और वि० सं० १२७४ ( ई० स० १२१७ ) में लाहौर के सूबेदार नासिरुद्दीन महमूद ने मंडोर पर अधिकार कर लिया । परंतु कुछ ही दिनों में वह उसके हाथ से निकल गया । इसपर वि० सं० १२८४ ( ई० स० १२२७ ) में उसके पिता शम्सुद्दीन अल्तमश ने दुबारा उसे विजय किया । इसके अलावा स्वालक और साँभर पर भी उसका अधिकार हो गया ।
वि० सं० १२६ ( ई० स० १२४२ ) में अलाउद्दीन की गद्दीनशीनी के समय मंडोर, नागोर और अजमेर मल्लिक इजुद्दीन के अधिकार में आए ।
इसके बाद वि० सं० १३५१ ( ई० स० १२९३ ) में मंडोर पर फ़ीरोज़शाह द्वितीय का आक्रमण हुआ । उस समय की बनी मसजिद इस समय भी वहाँ पर विद्यमान है और उसमें उसका एक खंडित शिला लेख लगा है । सम्भवतः उस समय मंडोर पर सोनगरा चौहान सामन्तसिंह का अधिकार होगा ।
वि० सं० १३६५ ( ई० स० १३०८ ) में शीतलदेव (सातल ) से सिवाना और वि० सं० चौहान कान्हड़देव से जालोर छीन लिया ।
वि० सं० १४६४' में जफ़रखाँ गुजरात का स्वतंत्र बादशाह बन बैठा और उसने अपने भाई शम्सखां को नागोर की हुकूमत दी । यह हुकूमत यद्यपि राव चूड़ाजी, राव रणमल्लजी आदि की चढ़ाइयों के कारण वीच-बीच में छूटती रही, तथापि वि० सं० १५६५ तक समय-समय पर वहाँ पर इस वंश के शासकों का अधिकार होता रहा ।
वि० सं० १४५० में जालोर पर बिहारी पठानों का अधिकार होगया था ।
अलाउद्दीन खिलजी ने चौहान १३६८ ( ई० स० १३११ ) में
इनके अलावा मारवाड़ के प्रदेशों पर इधर-उधर के मुसलमान - शासकों के और भी अनेक साधारण हमले हुए थे I
१. ' तबकाते अकबरी' ( पृ० ४४८) में इस घटना का समय हिजरी सन् ८०८ के बाद लिखा है । इस हिसाब से वि० सं० १४६४ ही होना ठीक प्रतीत होता है ।
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
१५
www.umaragyanbhandar.com