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मुसलमानों के हमले का है । तीसरा लेख मगलाना ( परबतसर परगने ) से मिला है । यह वि० सं० १२७२ का है । ये लोग चौहानों के सामंत थे । कहते हैं कि गोड़वाड़ में गौड़ - वंशियों का अधिकार रहा था । लोग इस प्रदेश का नामकरण इसी वंश के पीछे होना अनुमान करते हैं । इसी प्रकार मारोठ के आसपास का प्रदेश भी इन्हीं के अधिकार में रहने के कारण गौडावाटी कहाता था । परन्तु वि० सं० १६८६ में मेड़तिया रघुनाथसिंह ने इन से यह प्रदेश छीन लिया ।
मुसलमानों के हमले
आगे मारवाड़ पर होने वाले मुसलमानों के आक्रमणों का संक्षिप्त विवरण दिया जाता है ।
हि० स० १०५ से १२५ ( वि० सं० ७८१ से ८०० = ई० स० ७२४ से ७४३ ) तक हशाम अरब का खलीफा था । पहले लिखे अनुसार इसके समय इसके भारतीय प्रदेशों के शासक जुनैद की सेना ने मारवाड़, भीनमाल, अजमेर, गुजरात आदि पर चढ़ाई की । यह बात कलचुरी संवत् ४१० ( वि० सं० ७९६ = ई० स० ७३९ ) के चालुक्य पुलकेशी के दान-पत्र से भी प्रकट होती है ।
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हांसोट (भड़ोच ज़िले) से चौहान भर्तृवढ्ढ द्वितीय का एक दान-पत्र मिला है । यह वि० सं० ८१३ ( ई० स० ७५६ ) का है । इससे ज्ञात होता है कि पड़िहार नागभट्ट ( प्रथम ) के समय उसके राज्य ( मारवाड़ के दक्षिणी भाग ) पर बलोचों ने चढ़ाई की थी । परंतु उन्हें सफलता नहीं मिली ।
सिंध और मारवाड़ की सीमा मिली हुई होने से समय-समय पर मुसलमानों के ऐसे अनेक आक्रमण यहां पर होते रहते थे ।
हि० स० ५१२ ( वि० सं० १९७६ = ई० स० १११६ ) में मुहम्मद बाहलीम बागी हो गया और उसने नागोर का किला बनवाया । इस पर बहरामशाह ने उसपर चढ़ाई की । परंतु इसी बीच मुहम्मद बाहलीम के मर जाने से वह लौट गया ।
वि० सं० २०८२ ( हि० स० ४१६ = ई० स० १०२५) में जिस समय महमूद गजनवी ने सोमनाथ पर चढ़ाई की थी, उस समय वह नाडोल की तरफ़ से होता हुआ उधर गया था । इसके बाद भी मौका पाकर गजनवी - वंश के हाकिमों की सेनाएं लाहौर से आगे बढ़ मारवाड़ के भिन्न भिन्न प्रदेशों पर हमला करती रहती १. तबकाते-नासिरी ( इलियटस् हिस्ट्री ऑफ इंडिया ), भा० २, पृ० २७६
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