________________
सम्यक ज्ञान मुक्ति है
एक रोगी ने अपने डाक्टर से आकर कहा कि बड़ी कठिनाई है; अमरीका का बना है?' पर उसने कहा, 'इस पर लिखा हुआ जो आपने कहा था, हो नहीं पाता। डाक्टर ने कहा कि मैंने ऐसी है: मेड इन यू. एस. ए.। तो वह सिंधी नाराज हुआ। उसने कोई कठिन बात तुमसे कही न थी। इतना ही तो कहा था कि जो कहा, 'कोई यू. एस. ए. ने यू. एस. ए. लिखने का ठेका ले तुम्हारा बच्चा खाता है, वही भोजन तुम लो। इसमें क्या अड़चन | रखा है? अरे, यू. एस. ए. का मतलब होता है: उल्हासनगर है? कुछ दिन तक जो तुम्हारा बच्चा लेता है, वही भोजन तुम | सिंधी एसोसिएशन।' लो, तो तुम्हारा शरीर ठीक रास्ते पर आ जायेगा। __ अपने-अपने हिसाब हैं, अपने-अपने मतलब हैं। यू. एस.
उसने कहा कि मैंने प्रयत्न तो किया, पर सफल न हो सका। ए. की चीज खरीदते वक्त उल्हासनगर के सिंधियों को याद डाक्टर ने कहा, 'क्या बेवकूफी है? इतनी-सी बात तुमसे न हो रखना। तुम ही तो अर्थ डाल लोगे। शब्द तो बेचारा क्या सकी कि तुम्हारा बच्चा जो खाता है वही तुम खाओ? दूध पीता | करेगा! अर्थ तो तुम जोड़ोगे! अर्थ तो तुम निकालोगे! है तो दूध पीओ। खिचड़ी खाता है तो खिचड़ी खाओ। और | महावीर की नग्नता हुई-सहज, स्वाभाविक, सहजस्फूर्त। जितनी थोड़ी मात्रा में खाता है उतनी ही मात्रा में खाओ। यह भी मेरे एक मित्र हैं जैन-संन्यासी। उनके गांव के पास से गुजरता तुमसे न हो सका?'
| था तो मैंने गाड़ी रुकवाई। मैंने कहा कि उनको मिलता चलूं, वर्षों उसने कहा कि महाराज, मेरा बच्चा मोमबत्ती, कोयला, मिट्टी से मिला नहीं। देखा खिडकी से तो वे अपनी छोटी-सी कोठरी जूते के फीते, ऐसी कौन-सी चीज है जो नहीं खाता! वही तो मैं में दूर जंगल में रहते हैं-नग्न टहल रहे थे। जब मैं दरवाजे मरा जा रहा हूं खा-खाकर। मेरी हालत और खराब हो गई है। पर गया और मैंने दस्तक दी तो वे आए तो चादर लपेटे थे। मैंने थोड़ी सावधानी चाहिए। अर्थ तो तुम डालोगे!
पूछा, 'मामला क्या है? अभी तो मैंने खिड़की से देखा, तुम महावीर कहते हैं, उपवास; तुम पढ़ोगे, अनशन। महावीर नग्न थे; चादर क्यों लपेट ली?' वे हंसने लगे। उन्होंने कहा कहते हैं, सत्य में संयम छिपा है; तुम पढ़ोगे, संयम में सत्य कि जरा अभ्यास कर रहा हूं। छिपा है। ऐसे चूकते चले जाओगे। फिर तुम अपनी मतलब की 'काहे का अभ्यास कर रहे हो?' बात सदा निकाल लोगे। आदमी अपनी मतलब की बात वे अभी ब्रह्मचारी हैं, जैनियों की पहली सीढ़ी पर हैं संन्यास निकाल लेता है।
की। मुनि जब नग्न होते हैं, तो वे पांचवीं सीढ़ी हैं। तो उन्होंने मैं जबलपुर बहुत वर्षों तक रहा। एक बूढ़े सिंधी की दुकान कहा, थोड़ा अभ्यास कर रहा हूं। मैंने कहा, कैसे अभ्यास थी। पुरानी किताबें, पुराना कागज, खरीदता और बेचता। मैं भी करोगे? उन्होंने कहा, 'पहले अकेले में करता हूं। नग्न होने की उसकी दुकान पर पुरानी किताबों की तलाश में जाता था। थोड़ी आदत हो जाये। फिर मित्र, परिचितों के बीच रहूंगा। फिर कभी-कभी बड़े महत्वपूर्ण शास्त्र उसकी किताब की दुकान पर ।
| धीरे-धीरे गांव में जाऊंगा। फिर शहर में भी। ऐसे हिम्मत बढ़ से मिल गये। उस सिंधी को....सिंधियों में ऐसी मान्यता थी कि जायेगी। अभी तो बड़ा संकोच लगता है।' वह कुछ धार्मिक है, वे उसको साईं कहते थे। मैं भी किताबें मैंने उनसे पूछा, 'तुमने कभी सुना कि महावीर ने ऐसा पुरानी ढूंढ़ते-ढूंढ़ते, सुनता रहता था उसकी बातें; उसके कुछ अभ्यास किया था। नग्नता अभ्यास से आये तो निर्दोष कहां शिष्य-शागिर्द भी कभी-कभी बैठे रहते थे। एक दिन एक रही? अभ्यास तो हर चीज को दोषी बना देता है। अभ्यास का आदमी आया जो फाउन्टेनपेन खरीदकर ले गया था। पुरानी और तो मतलब हुआ—परफार्मेन्स। अभ्यास का तो अर्थ चीजें भी वह खरीदता-बेचता था। वह आदमी बड़ा नाराज था। हुआ—नाटक। यह तुम रिहर्सल कर रहे हो मुनित्व का, मुनि उसने कहा कि यह तुमने धोखा दिया। यह तो फाउन्टेनपेन चार होने का? तैयारी कर रहे हो? यह कोई नाटक है या जीवंत आने का भी नहीं है और लिखा है इस पर 'मेड इन यू. एस. घटना है? माना कि तुम संकोच छोड़ दोगे अभ्यास करने से; ए.।' यह है नहीं 'अमरीका का बना।'
अभ्यास से जो संकोच छूट जायेगा उससे क्या निर्दोषता वह सिंधी नाराज हुआ। उसने कहा, 'कहा किसने कि यह आयेगी? निर्दोषता तो तब आती है जब समझ से संकोच गिरता
175
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org