Book Title: Jina Sutra Part 1
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 690
________________ __ जिन सूत्र भागः1 २४..20.20-Sports दूसरा कदम न उठाए! और एक-एक कदम चलकर हजारों मील की यात्रा भी अंततः पूरी हो जाती है! दो कदम तो कोई एकसाथ चल भी नहीं सकता। एक कदम! छोटा कदम! जितनी तुम्हारी सामर्थ्य में आता हो, इतना बड़ा कदम! लेकिन उठाओ! बैठे-बैठे बहुत जन्म खोए-और मत खोओ! धम्मपद में बुद्ध ने कहा है: 'उत्तिट्टे!' उठो! 'न पमज्जेय्य!' उठो! प्रमाद मत करो! सोये मत रहो! आलसी मत रहो! जो उठता है, वही पाता है। जो सोया रहता, वह सभी कुछ खो देता है। आज इतना ही। 680 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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