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जिन सूत्र भागः1
दीये को भी जले दीये की तरह मानकर जी सकते हैं, गीत गुनगुना आदमी जो दूसरे खंभे से बंधा था, उसने कहा, 'इसकी बातों में सकते हैं।
मत पड़ना, मैंने इसे कभी भेजा ही नहीं! यह सरासर झूठा है।' अकसर ऐसा होता है : जो तुम्हारे पास नहीं है उसकी सांत्वना लेकिन जो पैगंबर की तरह बंधा था, उसने क्या कहा? वह तुम अनेक रूपों से अपने पास जुटा लेते हो। प्रेम जिसके पास मुस्कुराया। उसने कहा, 'यह तो लिखा ही है शास्त्रों में कि नहीं है, वह प्रेम के बहुत गीत गाकर धीरे-धीरे भरोसा कर लेता उसके पैगंबरों को सदा तकलीफें झेलनी पड़ेंगी। तुम्हारे कोड़ों से है कि प्रेम हो गया। यह बड़ी विडंबना है। प्रेम के गीत जितने कुछ भी सिद्ध नहीं होता है—इतना ही सिद्ध होता है कि शास्त्र लोगों ने गाये हैं उनमें से निन्यानबे ने प्रेम को जाना ही न था। जो | सही हैं।' नहीं जान पाए जीवन में, जो यथार्थतः न घट पाया, उसे उन्होंने पागल आदमी का अर्थ क्या होता है? इतना ही कि जिसने सपनों में घटा लिया। सपने परिपूरक हैं।
अब खुली आंख सपने देखने शुरू कर दिये; जो अपने सपनों में आधुनिक मनोविज्ञान इस सत्य को स्वीकार करता है कि सपने भरोसा करने लगा है—इतना कि यथार्थ झूठा पड़ जाता है, सपने परिपूरक हैं। जो तुम जीवन में नहीं कर पाते हो वह तुम सपने में ज्यादा सच मालूम होते हैं। करके अपने को समझा लेते हो। दिन में उपवास करो, रात सपनें | तो तुम्हारे कवि और पागलों में कोई बहुत अंतर नहीं होता है। में भोजन कर लोगे। दिन में ब्रह्मचर्य साधो, रात सपने में सुंदर | कवि थोड़े कुशल पागल हैं, जिनके पास कुछ प्रतिभा है; सुंदर स्त्रियां, सुंदर पुरुष तुम्हारे आसपास नाचने लगेंगे। तुम्हारे गीत रच सकते हैं, कि सुंदर चित्र बना सकते हैं। अकसर तो तुम ऋषि-मुनियों के आसपास अप्सराएं यूं ही नहीं नाची थीं। कोई कवियों के पास मत जाना—उनके गीत का सौंदर्य देखकर, वस्तुतः अप्सराएं कहीं से आती नहीं। किस इंद्र को पड़ी है? | अन्यथा वहां एक कुरूप आदमी पाओगे। गीत को सुन लेना। कहां कौन इंद्र है? वह तो ऋषि-मुनि ने ही जो दबा लिया था, गीत में बड़ा सौंदर्य हो सकता है। कभी-कभी तो बड़ी आकाश दमन कर लिया था; वह जिसको प्रगट नहीं किया था जीवन की ऊंचाई कवि छू लेते हैं। में-वह सन्नाटे में रात के, तंद्रा के क्षण में, निद्रा के क्षण में प्रगट | सपनों को बाधा क्या है? सपनों को कोई सीमा नहीं है। जहां होने लगा। और अगर बहुत दबाया तो आंख बंद करने की भी तक सपना देखना हो, देख सकते हो। न पहाड़ रोकते हैं, न जरूरत नहीं, अप्सरा खली आंख प्रगट हो जायेगी। यह निर्भर | आकाश रोकते हैं। लेकिन सपने तम जो देखते हो वह खबर देते करता है कि तुमने दमन कितना गहरा किया। अगर दमन बहुत | हैं कि जिस चीज की कमी रह गयी, उसको सपने में पूरा कर रहे गहरा कर लिया। इतना गहरा कर लिया कि अब दमन को हो। भिखमंगा सपने देखता है सम्राट होने के। और अकसर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। तो खुली आंख भी तुम सपने सम्राटों ने भिखमंगे होने के सपने देखे। देखे ही नहीं, पूरे किये। देखने लगोगे। खुली आंख और बंद आंख में दमन की गहराई महावीर, बुद्ध सम्राट थे। लेकिन भिखारी होने का सपना पैदा हो का ही फर्क है। तुम बंद आंख से देखते हो। तुमने पागल गया। न केवल सपना देखा, उसे पूरा किया। आदमी देखे? वे खुली आंख से देख रहे हैं।
भिखारी सम्राट होने के सपने देखते हैं। जो नहीं हो रहा है, जो एक पागलखाने में एक आदमी दावा करता था कि वह ईश्वर नहीं है पास उसको सपने में देखना पड़ता है। का भेजा हुआ पैगंबर है। जिस मुसलमान खलीफा ने उसे तो जरूरी नहीं है कि जिसने ये पंक्तियां लिखी हों...ये कैदखाने में डलवा दिया था, वह उससे मिलने आया। कहा था | पंक्तियां प्यारी हैं, सार्थक हैं। कि तीन सप्ताह तू फिर से सोच ले। वह जब उससे मिलने आया बैठे-बैठे दिले-नादां ये खयाल आया है तो वह एक खंभे से बंधा था। उसको कोड़े मारे गये थे, तीन हम नहीं आये यहां कोई हमें लाया है। सप्ताह भूखा रखा गया था। और जब उसने उस आदमी से पूछा खयाल तो दुरुस्त है। लेकिन यह खयाल ही नहीं है, यह सत्य कि क्या खयाल है, क्या अब भी तेरा खयाल है कि तुझे परमात्मा है। तुम यहां आये कहां? कोई लाया है। तुमने न तो आने का ने पैगंबर बनाकर भेजा है, इसके पहले कि वह बोले, एक दूसरा निर्णय किया था, न तुमने आने की आकांक्षा की थी। न तुमसे
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