Book Title: Jina Sutra Part 1
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 639
________________ P R मोक्ष का द्वार : सम्यक दृष्टि INTERNET लगाकर खड़ा हो जाता है। अब इसमें कुछ गुण नहीं है, लेकिन है कि ये किस तरह के लोग हैं जो इस तरह का काम करते हैं। भीड़ लग जायेगी। लोग पैसे भी चढ़ाने लगेंगे। क्योंकि तुम और एक बड़ी हैरानी का नतीजा आया और वह यह कि ये उसी शीर्षासन लगाकर घंटों नहीं खड़े रह सकते। बस इतना काफी तरह के लोग हैं जिस तरह के लोगों को ये पकडते हैं। ये है। कोई आदमी छत्तीस घंटे साइकिल पर चढ़ा हुआ चक्कर साधु-चरित्र लोग नहीं हैं। गाता रहता है। उसको भी पैसे मिल जाते हैं, उसके भी जो आदमी, दो आदमी लड़ रहे हैं इनके बीच में कद पड़ता है, अखबार में फोटो छप जाते हैं। कुछ अर्थ नहीं है। छत्तीस घंटे या यह क्रोधी आदमी है, यह खुद भी हत्या कर सकता है। वही छत्तीस जन्म भी साइकिल पर चढ़े रहो-क्या सार है? लेकिन हत्या की जो वृत्ति है, वही इसे बीच में कुदा देती है। यह कोई जो दूसरे नहीं कर सकते, वह किसी ने कर दिया-बस काफी साधुता के कारण बीच में नहीं कूदता। यह कोई दया के कारण है, उसका सम्मान होना शुरू हो जाता है। नहीं कूदता। और एक बड़े मजे की बात समझ में आयी है और तुम्हारे साधुओं के सम्मान में तुमने देखा! वह यह, कि इसको इससे मतलब नहीं होता कि वह जो आदमी किसी ने तीन महीने का उपवास किया-बस तुम सम्मान से पिट रहा है उसको बचाये; इसको मतलब होता है, जो पीट रहा भर गए। यह तीन महीने साइकिल पर सवार रहने से ज्यादा भिन्न है उसको पीटे। इसकी जो एम्फेसिस है, इसका जो जोर है, वह बात नहीं है। या किसी ने अपने शरीर को सुखाकर हड्डियां कर इस पर नहीं रहता कि जो पिट रहा है उसको बचाए। उसके प्रति लिया-तुम प्रभावित हो गये! या किसी ने अपने बाल-बच्चों तो इसके मन में भी यह है कि यह तो गया-गुजरा आदमी है, यह को, घर-गृहस्थी को, सबको छोड़कर, उजाड़कर जंगल में खड़ा कोई मतलब का आदमी है! यह तो जो पीट रहा है उसके पीट के हो गया-बस तुम चले पूजा के फूल लेकर! यह तुम नहीं कर दिखा दे, उस चेष्टा में रहता है। पाते हो, तो तुम सोचते हो, तुम कमजोर हो और इस आदमी ने एक आदमी ने कार का धक्का मारा एक स्त्री को शिकागो में। कर लिया! | वह बूढ़ी औरत गिर पड़ी। और दूसरा आदमी जो मोटर साइकल अभी अमरीका में अपराधियों और अपराधियों से जूझ पर चढ़ने के लिए तैयार ही था, उसने उस कार का पीछा किया। जानेवाले लोगों के संबंध में मनोवैज्ञानिक अध्ययन चलता है। कोई दस मील की दौड़-धूप के बाद उसने उस आदमी को पकड़ बड़े हैरानी के नतीजे हाथ में आये हैं। अकसर तुमने देखा होगा लिया। और पकड़ने के लिए उसको गोली चलानी पड़ी और कि कोई आदमी डूब रहा है या किसी घर में आग लग गयी है दूसरे आदमी के कार के टायर छेद डालने पड़े गोली से, तब वह कोई बच्चा अंदर छूट गया है, तो हजारों की भीड़ लगी रहती है, पकड़ पाया। इस बीच वह महिला मर गयी। उससे जब पूछा हजारों लोग खड़े रहते हैं; कोई एकाध ही होता है जो उछलकर गया कि जब यह महिला गिरी तो तेरे सामने दो विकल्प थे कि या और मकान में दौड़ जाता है, आग का खतरा है, खुद की जान तो तू इस महिला को उठाकर अस्पताल में पहुंचाता तो शायद यह खतरे में डालता है, बच्चे को निकाल लाता है। अखबारों में बच जाती; लेकिन तूने उसकी तो फिकर ही न की, तू जान खबर छपेगी, सत्कार होगा, स्वागत होगा! लोग कहेंगे, बहुत जोखिम में लगाकर इस आदमी के पीछे पड़ गया और इस बहादुर है! बहुत गजब का आदमी है। साधु-चरित्र है ! दयावान आदमी को तूने पकड़ा दिया। है! करुणावान है। ऐसे बहुत-से अध्ययन किए गए और पाया गया कि जब दो कोई नदी में डूब रहा है, कोई बचा लेता है। या रास्ते पर किसी आदमी लड़ रहे हों तो जो आदमी कूद पड़ता है उसको पिटनेवाले आदमी ने किसी दूसरे पर हमला किया; अनेक लोग गुजर जाते से कोई सहानुभूति नहीं होती; उसको पीटनेवाले से ईर्ष्या होती हैं, लेकिन एक आदमी बीच में कूद पड़ता है और हमलावर को है। वह उसे कुछ करके दिखा देना चाहता है। वह यह कह रहा पकड़ लेता है या पुलिस को पकड़ा देता है या हमलावर को काबू है कि मेरे रहते कौन किसको पीट रहा है! वह जो आदमी आग में कर लेता है या हत्यारे को पकड़ लेता है-अपनी जान जलते मकान में कूद पड़ता है, उसको शायद आग में पड़े हुए जोखिम में डालकर। तो अमरीका में एक अध्ययन किया जा रहा बच्चे से कुछ लेना-देना नहीं होता; लेकिन यह उसके अहंकार Jain Education International www.jainelibrarong For Private & Personal Use Only

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