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प्रश्न- सार
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नरहरि कैसे भगति करूं मैं तोरी चंचल है मति मोरी !
आपने कहा कि जहां उत्कट प्यास होगी वहां पानी को आना ही पड़ेगा । अब पानी तो आ गया है; लेकिन क्या मैं तुरंत अंजुलि भरकर पीना शुरू करूं, या पानी मुंह तक आ जाए, इसकी प्रतीक्षा करूं?
आपके प्रति इतना प्रेम रहते हुए भी आपको सुनते वक्त कभी-कभी अकुलाहट और क्रोध क्यों उठने लगता है ?
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