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HERE जिन सूत्र भाग:
ARATRE
हो, आंखों की झलक न लौटती हो, जरा-सी रोशनी है, तुम्हारी परमात्मा मुझे नहीं खोज रहा है। परमात्मा का साधक को कोई आंख में कौंध जाती है, अगर वह न लौटती हो, तो बोलना व्यर्थ बड़ा सवाल ही नहीं है। साधक सत्य खोजता है। सत्य का अर्थ हो जाता है।
होता है : तटस्थ। भक्त भगवान खोजता है। भगवान का अर्थ मैं कहता हूं, सूरज नहीं ऊगेगा, जिस दिन फूल नहीं खिलेंगे। होता है : व्यक्ति, प्रेम से लबालब! सत्य रूखा शब्द है। सत्य यह तो हम जानते हैं कि फूल नहीं खिलेंगे अगर सूरज नहीं में तर्क की भनक है, गणित का स्वाद है। सत्य शब्द में कोई ऊगेगा। दूसरी बात भी इतनी ही सुनिश्चित है। फूलों की तरफ रसधार नहीं है, मरुस्थल जैसा है। अब तुम लगाओ सत्य को से किसी ने अभी बहुत गवाही नहीं दी। फूलों की तरफ से खोज छाती से, तुमको पता चलेगा! तो तुम तो लगा रहे हो, लेकिन नहीं हुई। फूल छोटे-छोटे हैं, सूरज बड़ा है।
सत्य बिलकुल हाथ नहीं फैला रहा। जैसे तुम किसी खंभे को लेकिन आदमी के जगत में उलटी हालत है। आदमी छोटा है छाती से लगा रहे हो, ऐसा सत्य छाती से लगेगा। और कहता है, हम परमात्मा को खोजते हैं। और परमात्मा बड़ा 'भगवान!' भक्त यही कह रहा है कि अस्तित्व तुम्हारे प्रति है, सूरज की भांति। परमात्मा तुम्हें खोज रहा है। तुम छोटे-छोटे तटस्थ नहीं है। इतना ही अर्थ है भगवान शब्द का। भगवान से फूल हो। वह तुम्हारी तलाश कर रहा है। उसकी किरणें तुम्हें कोई मतलब नहीं है कि कोई बैठा है आकाश में व्यक्ति की आकर घेर लेना चाहती हैं, तुम्हारे साथ हवाओं में नाचना चाहती तरह। यह शब्द तो सूचक है। यह तो इतना कह रहा है कि हैं। इसे अगर स्मरण रखा तो कोई डर नहीं है, थोड़ी देर रुक अस्तित्व तुम्हारे प्रति उदासीन नहीं है। अस्तित्व तुम्हारे प्रति प्रेम जाना। जो छाती तक आ गया है पानी, वह ओंठों तक भी आ से लबालब है, भरा हुआ है। यह सत्य नहीं है, बल्कि प्रेम है। जायेगा। वह तुम्हें डुबा लेना चाहता है अपने में। वह डूबकर इसलिए जब जीसस ने कहा कि परमात्मा प्रेम है तो उनका यही बड़ा मस्त होगा। वह डुबाकर बड़ा मस्त होगा। वह तुम्हें अपने अर्थ था। कह सकते थे, परमात्मा सत्य है। गांधी ने कहा ही है: में आत्मसात कर लेना चाहता है। तुम उसी की ऊर्जा हो-दूर द्रुथ इज गाड; सत्य परमात्मा है। लेकिन सत्य बड़ा रूखा-सूखा भटक गयी। वह तुम्हें पाकर वैसा ही प्रसन्न होगा जैसे कोई शब्द है; जैसे किसी तर्क का, गणित का, हिसाब का शब्द है। प्रेयसी, उसका पति खोया हुआ वापिस लौट आए; या कोई मां, इसमें भगवान का रस नहीं। सत्य को परमात्मा कहने का अर्थ है उसका बेटा खोया हुआ वापिस लौट आए; या कोई बाप। कि परमात्मा नहीं है, सत्य है। फिर सत्य को खोजना पड़ेगा।
यह आनंद एकतरफा होनेवाला नहीं है। इस जगत में सत्य तुम्हें नहीं खोजेगा। सत्य को क्या पड़ी है ? सत्य में तो कोई एकतरफा कुछ भी नहीं है। इसे तुम जीवन का बुनियादी सत्य प्राण भी नहीं हो सकते। जब सत्य में प्राण होते हैं और भीतर समझो। यहां जहां भी एक तरफ तुम कुछ देखो, समझना कि ज्योति का दीया जलता है, तब वह परमात्मा हो जाता है, तब वह दूसरी तरफ भी कुछ हो रहा है। यहां ताली एक हाथ से नहीं | सत्य नहीं रह जाता। इसलिए जीसस ज्यादा सही हैं, जब वे बजती।
कहते हैं परमात्मा प्रेम है या प्रेम परमात्मा है। तो भक्त अकेला ही ताली न बजा पाएगा। और भक्त अकेला तो अगर तुमने भक्त की तरह से छलांग लगायी है तो कोई भजन न कर पायेगा। और भक्त अकेला कीर्तन न कर पायेगा। फिक्र नहीं, रुके रहना, ठहरे रहना-वह बढ़ेगा। तुम जितनी अगर पाए न कि भजन में वह भी सम्मिलित है, कहीं पीछे खड़ा जिद्द करोगे उतनी तीव्रता से बढ़ेगा। तुम्हारी जिद्द भी तुम्हारे वह भी गुनगुना रहा है, और कीर्तन में अगर पाए न कि वह भी भरोसे की अभिव्यक्ति होगी। तुम्हारी जल्दबाजी अधैर्य की, नाच रहा है-कितनी देर भक्त अकेला चल पाएगा? ईंधन | तुम्हारी प्रतीक्षा तुम्हारे धैर्य की! जल्दी ही चुक जायेगा। वही है जो ईंधन को डाले चला जाता है। खुद्दारियां यह मेरे तजस्सुस की देखना इसलिए अगर साधक हो और बड़ी मेहनत से पहुंचे हो जलस्रोत मंजिल पर आकर अपना पता पूछता हूं मैं। पर, तो अंजुलि भरकर पीना ही पड़ेगा; तुम देर तक प्रतीक्षा नहीं भक्त कहता है, देखो मेरी तलाश का स्वाभिमान कि मंजिल कर सकते। क्योंकि साधक मानता है, मैं ही खोज रहा है; पर आ गया हूं और मंजिल पर आकर अपना पता पूछता
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