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हला प्रश्नः
तरफ अंधेरा है, अंधेरे में लगा स्वार्थ है। दूसरी-तरफ अंधेरे की बैठे-बैठे दिले-नादां ये खयाल आया है
तकलीफें हैं। दीये का खयाल पैदा होता है। जब तक तुम अंधेरे हम नहीं आए यहां कोई हमें लाया है
के स्वार्थ न तोड़ लोगे, तब तक तुम दीया जला न सकोगे। यह किसने नन्हा-सा मुहब्बत का ये जला के दिया | सीधा गणित है। तो दीये जलाने की तो फिक्र छोड़ो, पहले यह दिले-वीरां के अंधेरे पे तरस खाया है।
देख लो कि 'अंधेरे में हमारा स्वार्थ है ? हम अंधेरे को चाहते हैं पर दीया तो जलता नजर नहीं आता...?
कि बना रहे? अंधेरे से कुछ मिलने की आशा है? अंधेरे में मन
| को लगाया है? भविष्य को अंधेरे में छिपाया है, सपने देखे कविता उधार है। किसी और का दीया जला होगा, उसने गायी हैं?' अगर अंधेरे से कुछ भी मिलने का, कहीं भी थोड़ा-सा है। अपने काव्य को जन्माना होगा।
खयाल है तो तुम दीया कैसे जलने दोगे? कोई जला भी दे तो दीया तो सभी का जल सकता है। दीया है तो जलने के लिए उसे बुझा दोगे। जो दीया जलाये वह दुश्मन मालूम होगा। है। दीया है तो जलने की संभावना है। लेकिन कोई दसरा अंधेरे में तम्हारा बडा न्यस्त स्वार्थ है तुम्हारा दीया जला नहीं सकता। तुम्हारी स्वतंत्रता परम है। तुम इसलिए दीया नहीं जल रहा है। तुम्हारे अंधेरे पर कोई कितना न जलाना चाहो तो दीया जलाया नहीं जा सकता और तुम ही तरस खाये, तो भी अगर तुम अंधेरे में रहना चाहते हो तो इस जलाना चाहो तो कोई तुम्हें रोक न सकेगा। तुमने चाहा नहीं है | तरस से कुछ भी न होगा। कि दीया जले। अभी अंधेरे में तुम्हारे बड़े लगाव हैं।
महावीर आते हैं, बुद्ध आते हैं, कृष्ण आते हैं, क्राइस्ट आते अकसर मैं लोगों को देखता हूं। वे चाहते हैं, अंधेरा भी बना हैं। तरस की कुछ कमी नहीं है। करुणा बड़ी है। महाकरुणा के रहे और दीया भी जल जाये। ऐसी उलझन है। क्योंकि अंधेरे में स्रोत आते हैं। स्वयं सूर्य तुम्हारे द्वार पर आकर दस्तक देते हैं। बड़े स्वार्थ हैं।
लेकिन तुम अपने अंधेरे में छिपे बैठे हो। तुम सोचते हो कि जैसे एक आदमी चोरी करने गया हो, तो कई बार टकरा जाये, प्रकाश भी जल जाये। लेकिन कभी तुमने भीतर का द्वंद्व देखा? दीवाल-दरवाजे से ठोकर खा जाये, तो सोचने लगे मन में कि कि प्रकाश के जलने के साथ ही अंधेरे के सभी स्वार्थ नष्ट-भ्रष्ट दीया होता तो ठीक था लेकिन दीया हो और रोशनी हो जाये तो हो जायेंगे। तो अंधेरे से पाने की तुमने जो-जो आशाएं बांधी हैं, चोरी न कर सकेगा। तो अगर कोई कहे कि यह रहा दीया, लेलो वह सभी धूल-धूसरित हो जायेंगी। उस अंधेरे से भरी आशाओं तो वह कहेगा, पागल तो नहीं समझा है मझे?
को ही तो हम संसार कहते हैं।। तो तुम्हारी दिक्कत यह है कि तुम्हारा जीवन दोहरा है। एक तो जब तक संसार में थोड़ा भी ऐसा लग रहा है कि कुछ मिल
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