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जिन सूत्र भागः
शीतल करो, शांत करो। जो-जो चीज तुम्हें उबालती हो, ईंधन कहते हैं। तो उन्होंने जितनी जिंदगी के खिलाफ बातें कही हैं, बनती हो तुम्हारी वासना में, तुम्हें जलाती हो, उससे धीरे-धीरे हमेशा याद रखना, तुम्हारी जिंदगी के खिलाफ कही हैं। जिंदगी जागो और दूर हटो। तो तुम उस शांति को, उस मुक्ति-सुख को | जो कहीं गलत हो गई, जहर हो गई; जिंदगी जो कहीं रोग हो पाने में समर्थ हो जाओगे, जो सारे संसार का मालिक भी कोई हो गई; जिंदगी जो कहीं विक्षिप्त हो गई उसके खिलाफ कही हैं। जाये तो नहीं पाता। अपने मालिक होकर ही पाया जाता है वह। | और इसीलिए खिलाफ कही हैं, ताकि असली जिंदगी की तलाश कहीं से ढूंढ़ कर ला दे हमें भी ऐ गुलेतर!
| में तुम निकल सको। इसीलिए कही हैं, ताकि तुम्हें अगर तुम्हारी वोह जिंदगी, जो गुजर जाए मुस्कुराने में।
जिंदगी दुख मालूम पड़े, तो तुम जागो। लेकिन किसी से मांगने से वह जिंदगी न मिलेगी। वह जिंदगी दुख जगाता है। दुख की याद आने लगे, समझ आने लगे, तो तो तुम खोजोगे तो ही, बनाओगे तो ही। तुम वही पाओगे, जो फिर सुख की दिशा की खोज पैदा होती है। महावीर बना लोगे। आत्मा तुम्हारा निर्माण है, तुम्हारा सृजन है। जीवन-विपरीत नहीं, विरोध में नहीं। महावीर महाजीवन के कौन कहता है ख्वाबे-रायगां है जिंदगी
पक्षपाती हैं। खोटे सिक्कों के विरोध में हैं, क्योंकि असली ऐ अमीने होश! कैफे-जाविदां है जिंदगी
सिक्के मौजूद हैं और तुम खोटे सिक्कों से अपने को भरमाये चले जादा पैमा, कारवां-दर-कारवां है जिंदगी
जाते हो। जागो! जिंदगी मौजे-रवां, जए-रवां, बहरे-रवां -किसने कहा कि जीवन व्यर्थ है।
आज इतना ही। कौन कहता है ख्वाबे-रायगां है जिंदगी। किसने कहा कि जिंदगी सपना है! होशवाले! थोड़ा होश को सम्हाल! ऐ अमीने होश! कैफे-जाविदा है जिंदगी। जिंदगी तो परम आनंद है, स्थायी आनंद है। जादा पैमां, कारवां-दर-कारवां है जिंदगी! यह तो एक यात्री-दल है जीवन-यात्रा पर निकला, प्रतिक्षण गतिमान। जिंदगी मौजे-रवां, जूए-रवां, बहरे-रवां। जीवन आनंद की लहर है! आनंद की सरिता है! आनंद का सागर है। लेकिन उनके लिए ही, जिन्होंने अपने को कछए की भांति सिकोड़ लिया; उनके लिए ही, जिन्होंने अपने को जगा लिया। और जिनको जीने का यह ढंग नहीं आता, वे जीवन के विपरीत बातें करने लगते हैं; उनसे सावधान रहना!
महावीर जीवन के विपरीत नहीं हैं। महावीर तुम्हारे तथाकथित जीवन के विपरीत हैं, ताकि तुम असली जीवन को पा सको। न आया जिसे शेवए-जिंदगी वही जिंदगी से खफा हो गया।
और जिसको भी जिंदगी जीने का ढंग न आया, वही नाराज हो गया। नाराजगी धर्म नहीं है-समझ, होश। महावीर महासुख के पक्षपाती हैं। उस महासुख को ही वे मोक्ष
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