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MERELEBRATE
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आत्मा परम आधार है।
ANTA
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जरूरी नहीं है। तुम्हें तो दूसरे को खोजना पड़ता है, क्योंकि तुम्हें कहा, 'क्या तुमने समझा है हम पागल हैं? हमको कैसे अभी थोड़ा-सा होश बाकी है कि बिना दूसरे के कैसे बात करो! | वार्तालाप करना, आता है। क्या तुमने समझा हम पागल हैं? उठे, चलो मित्र के घर जायें, होटल जायें, क्लब-घर जायें। | जब एक बोलता है, दूसरे को चुप हो ही जाना चाहिए। लेकिन क्योंकि अभी तुम्हारी इतनी हिम्मत नहीं है कि अकेले ही बात | दूसरा जब चुप है, अपने भीतर गुनतारा बिठा रहा है; जब यह करने लगो। हालांकि जब तुम दूसरे से भी बात करते हो, तो भी चुप हो जायेगा, तब वह अपना शुरू कर देगा। ये दोनों धाराएं तुम अकेले ही बात कर रहे हो। वह दूसरा चाहे सुनने को राजी | अलग-अलग चल रही हैं, अपने-अपने भीतर चल रही हैं। भी नहीं है। वह ऊबा हुआ है, जम्हाई लेता है, घड़ी देखता है। तुम थोड़ा वचन से जागो! वचन से जागे कि तुम समाज से वह छिटकना चाहता है, लेकिन तुम उसको पकड़े हुए हो! छूटे—जंगल भागने से कोई समाज से मुक्त नहीं होता। भाषा
लोग हाथ तक पकड़कर बातें करते हैं कि कहीं निकल न से हट जाने से समाज से मुक्त होता है। इसलिए वास्तविक जाओ! बिलकुल पास आ जाते हैं, बिलकुल चेहरे के पास एकांत भाषा से मुक्ति है। हिमालय पर भी जाओगे तो भाषा से चेहरा ले आते हैं कि कहीं छुटकर खिसक न जाओ। बामुश्किल अगर मुक्त न हुए तो तुम पौधों से, वक्षों से बात करने लगोगे, तो मिले हो! वह तुम्हारी सुनना नहीं चाहता। वह हा-हूं करता पक्षियों से बोलने लगोगे। बोलने के लिए कोई भी सहारा खोज है। वह कहता है, ठीक है, सब ठीक है; मगर तुम अपना कहे लोगे। कुछ न होगा तो आकाश में बैठे भगवान से चर्चा शुरू चले जा रहे हो!
कर दोगे। देवी-देवता और अप्सरायें प्रगट होने लगेंगी। वे सब और तुमने कभी यह खयाल किया है कि दो लोग जब बातें तुम्हारे कल्पना के जाल हैं। लेकिन तुम कुछ पैदा कर लोगे करते हैं, तुम जरा चुप होकर शांति से बैठकर उन दोनों की बातें जिसके सहारे तुम बात कर सको। सुनो तो तुम हैरान होओगेः वे दोनों एक-दूसरे से बात नहीं। | भाषा से जो मुक्त हुआ, वही संन्यासी है। इसीलिए महावीर ने करते! एक को अपनी कहनी है, दूसरे को अपनी कहनी है। अपने संन्यासी को 'मुनि' कहा। मुनि का अर्थ है : भाषा से जो दोनों अपनी-अपनी कहते हैं। पति-पत्नी की बात सुनो तो बहुत मुक्त; मौन को जो उपलब्ध। सोचकर कहा।
अपनी-अपनी कहते हैं। हां, इतना अभी मुनि का अर्थ नहीं है, संसार से भाग गया। मनि का अर्थ नहीं होश है कि थोड़ा-थोड़ा एक-दूसरे की बातचीत में तार जोड़ते है, घर से भाग गया। बड़ी गहरी बात कही: भाषा से जाग गया; जाते हैं, ताकि ऐसा न लगे कि ये बिलकुल पागल हैं। वचन का पुराना पागलपन न रहा। जरूरत होती है तो उपयोग
दो प्रोफेसर पागल हो गये थे। वे एक पागलखाने में थे। कर लेता है, अन्यथा सरकाकर बगल में रख देता है। जैसे तुम मनोवैज्ञानिक जो उनका अध्ययन कर रहा था, बड़ा हैरान हुआ; कार का उपयोग कर लेते हो; जब जाना है बैठ गये, कार चलाई, क्योंकि वे दोनों बात करते, तो जब एक बात करता तो दूसरा चुप वापस गैरेज में बंद कर दी। ऐसे ही वह वाणी के यंत्र का उपयोग हो जाता। दोनों प्रोफेसर थे, सुशिक्षित थे। फिर जब दूसरा करता | कर लेता है, जब जरूरत हुई; फिर वापस गैरेज में बंद कर दी। तो पहला चुप हो जाता। लेकिन दोनों की बातों में कोई तार-तुक | ऐसे ज्यादातर वह मौन रहता है, मौन में डूबता है; जरूरत के नहीं, कोई संगति नहीं। एक आकाश की हांक रहा है, दूसरा | वक्त भाषा में उतरता है। लेकिन भाषा उपकरण हो जाती है। जमीन की हाक रहा है। उससे कोई लेना ही देना नहीं। कहीं तार | अब यह भाषा का मालिक है। जुड़ते ही नहीं; आसपास भी नहीं आते, जुड़ने की बात दूर। जिस दिन भाषा उपकरण हो गई, उस दिन तुम मुनि हुए। तुमने समानांतर चल रही हैं रेखाएं, कहीं मिलती नहीं। आखिर वह | घर छोड़ा या न छोड़ा, मझे फिक्र नहीं है। लेकिन जिस दिन भाष बड़ा हैरान हुआ कि इतने पागल हैं कि कुछ भी बकते हैं। लेकिन | से तुम छूटे, भाषा का कारागृह तुम्हारे ऊपर वजनी न रहा, भारी इतना खयाल रखते हैं, जब दूसरा बोलता है तो एक चुप हो जाता | न रहा, तुम समर्थ हुए जब चाहो तो बोलो, लेकिन बोलने की है। तो वह अंदर गया। उसने पूछा कि यह बड़े रहस्य की बात | चाह तुम्हें पागल की तरह आंदोलित नहीं करती तो तुम मुनि है! जब एक बोलता है, दूसरा चुप क्यों हो जाता है? उसने | हो गये।
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