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जिन सूत्र भाग: 1
पर खड़े हो जाते हो, मध्य में खड़े हो जाते हो। तुम यह भी नहीं कह सकते कि सो गये थे, क्योंकि तुम मेरी बात पूरी तरह सुनते रहोगे । और तुम यह भी नहीं कह सकते कि तुम जागे हुए क्योंकि एक बड़ी राहत, जैसी कि नींद में भी नहीं मिलती, एक बड़ी विश्रांति, तुम्हें उस तंद्रा से मिल जाएगी। तो तीसरा वर्ग है, जिसकी निद्रा तंद्रा के जैसी है।
इसमें पहले वर्ग में अगर तुम हो तो अच्छा हो, आना बंद कर देना । अगर दूसरे वर्ग में तुम हो तो संघर्ष करना; क्योंकि वह निद्रा तुम्हारे मन की पुरानी आदत है, उसे तोड़ना पड़ेगा। अगर तीसरे वर्ग में तुम हो तो सौभाग्यशाली समझना और इस तंद्रा से लड़ना मत; इस तंद्रा में चुपचाप अपने को छोड़ देना। क्योंकि जो भी मैं कह रहा हूं, तंद्रा में कुछ भी चूकेगा नहीं; वह तुम्हारे पास पहुंच ही जायेगा। यह हो सकता है कि शायद तुम बाद में याद न रख सको, क्योंकि याद बहुत ऊपर-ऊपर है; वह और भी गहरे पहुंच जायेगा। तंद्रा में अगर तुमने सुना तो वह सुनना बड़ा गहरा है । वह तुम्हारे प्राण-प्राण में उतर जायेगा । अगर तुम्हारी तंद्रा की स्थिति हो तो उसे तोड़ने की कोशिश मत करना। तब तो आंख बंद करके शांति से उसमें डूब जाना। क्योंकि मैं तुमसे जो कह रहा हूं, वह सिर्फ वचन ही नहीं हैं; मैं तुमसे जो कह रहा हूं, उन वचनों में कुछ तुम्हें दे भी रहा हूं। कुछ ऊर्जा का संचरण हो रहा है। कोई ऊर्जा का संवाद हो रहा है। अगर तुम जागे रहे तो तुम्हारे मन के विचार चलते रहेंगे। अगर तुम सो गये तो तुम सुन न सकोगे। अगर तंद्रा में रहे तो जागने के विचार भी न चलेंगे और नींद भी न होगी। बीच में खड़े देहली पर तुम मेरे बहुत करीब आ जाओगे। तुम्हारा हृदय मेरे हृदय के बहुत करीब धड़कने लगेगा।
तो सोच लेना, तुम्हारी जैसी दशा हो...। अगर तीसरी हो तो बड़ी सौभाग्य की । तंद्रा तो ध्यान की अवस्था है। इसी को तो
सूफियों ने मस्ती कहा है। एक नशा चढ़ जाता । एक नशे जैसा है। और लगता है, जिसने पूछा है, उसकी स्थिति तंद्रा की ही होगी; क्योंकि मेरा अपना अनुभव यही है, उसने कहा है, कि जैसी मीठी, गहरी और लुभावनी ... ।
तंद्रा की स्थिति मीठी है, गहरी है, लुभावनी है। लेकिन तुम्हारे लिए नयी होगी, इसलिए तुम उसे निद्रा समझ रहे हो । थोड़ी उसके साथ और पहचान बढ़ेगी तो तुम साफ-साफ देख लोगे
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कि जागरण अलग, निद्रा अलग, तंद्रा बिलकुल अलग है। तंद्रा तो एक मादक स्थिति है।
नमाजे-इश्क का आता भी है, जो होश कभी तो बेखुदी मेरी बढ़कर इमाम होती है।
- कभी-कभी जब प्रार्थना में डूबने की इच्छा भी होती है तो तत्क्षण तल्लीनता मेरा नेतृत्व करने लगती है। नमाजे-इश्क का आता भी है, जो होश कभी तो बेखुदी मेरी बढ़कर इमाम होती है।
- तो तत्क्षण मेरी तल्लीनता आगे आ जाती है और मार्गदर्शक हो जाती है। यह तंद्रा वही तल्लीनता है जो मार्गदर्शक बन जाती है। फिर फिक्र मत करना। अगर तीसरी तरह की तंद्रा हो तो यह भी मत सोचना कि लोग क्या कहेंगे। यह भी मत सोचना कि यह कहीं कोई नियम का उल्लंघन तो नहीं हो रहा है। यह भी मत सोचना कि यह कहीं बुरा तो नहीं है कि मैं बोल रहा हूं, और तुम सो रहे हो। नहीं, यह नींद है ही नहीं। यह तो प्रेम की एक बड़ी गहरी दशा है। मेरे शब्द तुम्हारे लिए एक गहरा संगीत लेकर आ रहे हैं। तुमने शब्दों को ही नहीं सुना है, संगीत को भी पीना शुरू कर दिया है।
मोहब्बत में नियाज़ और हुस्ने महवे-नाज क्या मानी मैं इस दस्तूर को तरमीम के काबिल समझता हूं। और जहां प्रेम है, वहां नियम उल्लंघन हो सकता है। क्योंकि प्रेम इतना परम नियम है कि फिर किसी और नियम की कोई जरूरत नहीं है। तो तुम केवल शिष्टाचार के कारण सम्हालकर और आंख खोलकर मत बैठे रहना। अगर तंद्रा तुम्हें अनुभव होती हो तो...
मोहब्बत में नियाज़ और हुस्ने महवे-नाज क्या मानी ? तो फिर प्रेम में नम्रता और अहंकार तक का कोई मूल्य नहीं । मैं इस दस्तूर को तरमीम के काबिल समझता हूं। फिर तो सभी दस्तूर तरमीम के काबिल हैं। फिर तो शिष्टाचार की फिक्र छोड़ो। प्रेमी के लिए कोई नियम नहीं है। मगर बहुत गौर से देखना । कहीं ऐसा न हो कि नींद पहले तरह की हो ! अगर पहले तरह की हो तो अपने को सम्हालना। या तो आना बंद करो...।
एक चर्च में ऐसा हुआ एक बूढ़ा आदमी, लेकिन करोड़पति, सामने ही बैठता था। और जब पादरी बोलता तो न केवल वह
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