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जीवन की भव्यता : अभी और यहीं
MINALS
से हटोगे तो पुण्य की भूमि चाहिए। उस पर खड़े हो जाना। लेकिन उस पर इतनी ज्यादा देर खड़े मत रहना कि फिर वहां घर बना लो। जैसे ही पाप समाप्त हो जाएं, पुण्य से भी छलांग लगा जाना। तब सब किनारे खो जाते हैं।
'यो वै भूमा. तत्सख'-और तब है सख विराट में। 'नाल्पे सुखमस्ति'-लघु में सुख कहां! 'भूमैव सुख'-उस भूमा में ही सुख है।
उस भूमा की ही हम जिज्ञासा करें, उस भूमा को ही हम खोजें! वह भूमा हममें छुपा है। वह स्वतंत्रता हमारा स्वभाव है।
आज इतना ही।
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